Thursday, June 06, 2013

घरेलू हिंसा से जुडी कुछ क़ानूनी जानकारी महिलाओं के लिए




   घरेलू हिंसा निरोधक कानून 2005  को अक्टूबर 2006  में लागू  किया गया ! इसमें घरेलू हिंसा की परिभाषा , दोषी के खिलाफ कार्यवाई और पीड़िता के लिए राहतों का पूरा व्योरा दिया गया है ! यह कानून हर महिला को हिंसामुक्त घर में रहने की आज़ादी देता है ...






कब दर्ज हो सकती है शिकायत
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- अगर महिला के साथ मारपीट हो .
- उसे घर में रहने न दिया जाए, जेब खर्च न दिया जाए.
- उसके जेवर और पैसे न दिए जाए .

- मेडिकल सुविधाएँ न दी जाएँ, प्रोपर्टी में जायज़ हक़ न दिया जाए .
- उसको उसकी पसंद का काम न करने दिया जाए .
- उसकी मर्ज़ी के खिलाफ बार-बार उससे संपर्क किया जाए .
- उसे या उसके परिवार को धमकी या ताने दिए जाएं .
- उसे बच्चा  या बेटा न होने पर दोषी ठहराया जाए .
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- इस कानून के दायरे में महिला के पति के अलावा पिता, भाई, देवर और प्रेमी भी आतें हैं, मोटे तौर पर इस कानून के तहत पुरुषों के खिलाफ ही कार्यवाई होती है लेकिन अगर परिवार की कोई महिला भी टॉर्चर करती है तो पीड़ित महिला उसके खिलाफ  भी इस कानून का सहारा ले सकती है !
 हाल में महिलाओं के खिलाफ भी इस एक्ट के तहत शिकायत के मामले सामने आये हैं !
 इसी तरह पत्नी या किसी और रिश्तेदार महिला से पीड़ित पुरुष भी इस कानून का सहारा ले सकता है !

- बच्चे को भी इस कानून  का  लाभ  मिल  सकता  है , कोई भी बालिग उसकी ओर से शिकायत दर्ज कर सकता है !
- यह सिविल एक्ट यानी दिवानी कानून है , इसमें दोषी को सजा का प्रावधान नहीं है लेकिन पीड़िता को राहत ज़रूर मुहैया कराया जाता है , हलाकि ज़रूरत पड़ने पर यह कानून फौजदारी में भी बदलता है , मसलन पीड़िता मारपीट से  ज़ख़्मी हो जाए तो यह मामला क्रिमिनल केस में तब्दील हो जाएगा , कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो तो भी पुलिस केस दर्ज कर सकती है !

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क्या क्या राहतें हैं ?        
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-यह कानून महिलाओं को फिजिकल , मेंटल , इमोशनल , इकनोमिक और सेक्सुअल वायलेंस से सुरक्षा प्रदान करता है !
- महिला के साथ जबरन संपर्क की कोशिश , उसकी मर्ज़ी के खिलाफ उसके काम करने की जगह या रहने की जगह जाने पर इस कानून की मदद ले सकती है !
- स्त्रीधन को महिला से कोई नहीं ले सकता , उसके या दोनों के ज्वाइंट एकाउंट या लोंकर को उसकी मर्ज़ी के खिलाफ आपरेट नहीं किया जा सकता !
- महिला या उसके मायके वालों के साथ मौखिक या शारीरिक हिंसा नहीं की जा सकती !
- कोर्ट साझा मकान में से पुरुष को निकलने का आदेश दे सकता है , महिला को नहीं दे सकता !
- महिला जिस हिस्से में रह रही है पुरुष के उसमें जाने पर रोक लगायी जा सकती है !
- साझा मकान या उसके किसी भी हिस्से को महिला की मर्ज़ी के खिलाफ नहीं बेचा जा सकता , महिला अगर  अलग रहना चाहे तो उसे किराये पर मकान मुहैया कराना पुरुष की जिम्मेदारी है , उसका गुजारा और मेडिकल का खर्च उठाना भी पुरुष की जिम्मेदारी है !
- महिला को बच्चों की टेम्परेरी कस्टडी मिल सकती है , नुकसान की भरपाई व इलाज़ का खर्च मिल सकता है !


जारी है ....                                     

10 comments:

  1. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 08/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  2. गोंडा मे कर्नलगंज मे एक दम्पती ने टार्चर होकर अपने तीन बच्चों के साथ आग लगा कर जान दे दिया क्योंकि तीनों लड़कियाँ ही थी हाल की घटना ने सोचने पर विवस किया आज महिलाएँ घरेलू हिंसा की शिकार बन जाती हैं डॉ उमा सिंह लेखिका गोंडा ऊ० प्र०=8765157582

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  3. घरेलु हिंसा अधिनियम ब्लैक मेल करने का जरिया बन गया है महिला और मायके वाले इस कानून का इस्तेमाल कर आदमियो को प्रताड़ित करने के साथ रूपया ऐठने का साधन बन चूका है आये दिन आदमी आत्महत्या कर रहे है बच्चलं महिलाये जम कर कानून का दूर उपयोग कर रही है आदमियो को भी प्रोटेक्शन मिलना जरुरी है

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  4. यदि घरेलू हिंसा की कोई रिपोर्ट न हो तो?

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  5. मेरी मम्मी 22साल से घरेलू हिंसा की शिकार हो रही है 22दिसंबर16 तक मेरी माँ ने ये सब सहा मेरी माँ की शादी अनाथ आश्रम से हूई है मेरी माँ का मेरे और मेरे छोटे भाई के आलावा कोई नहीं है मेरी माँ के साथ मानसिक और शारीरिक शोषण होता आ रहा है 22दिसम्बर को मेरी माँ के साथ फिर से जबरजसती कि गयी दादीजी से मदद माँगने पर दादी ने काहा अगर मेरी माँ के साथ कूच हूआ है तो क्या गलत है मेरी मम्मी ने जब पूलिस से मदद लि और पापा को जेल भेजा गया तो मेरी माँ मूझे और मेरे भाई को पापा द्वारा जान से मारने व तेजाब फेंकने कि धमकी दि गयी है 2जनवरी17 को पापा को जेल से छोड़ दिया जायेगा अगर मेरी माँ भाई या मूझमे से किसी को कूछ होता है तो उसके जिम्मेदार पापा दादी चाचा चाची होंगे
    मे बस इक बात जानना चाहती हूँ कि क्या सिर्फ शादी कर लेने से इक औरत का मानसिक और शारीरिक शोषण करने का हक मिल जाता है
    अगर कोई मेरी बात सूजन सकता है तो पलीस मेरी माँ जेसी मजबूर औरतों को ईनसाफ दे

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  6. मेरी माँ कि शादी अनाथ आश्रम से करी गयी मेरी माँ 22साल से मानसिक और शारीरिक शोषण की शिकार है मेरे पापा इक खराब चरित्र व बूँदी आदतों के शिकार है मेरी माँ के साथ हो रहे शोषण को घरवालो व रिश्तेदारों ने शादी का नाम देकर 22साल से छूपा रखा हे मेरी माँ के साथ 22दिसम्बर2016 को जब फिर से जबरजसती की गयी तो माँ ने दादी से मदद मानगी तब दादी का कहना था सती है क्या गलत कर रहा है मे मेरी माँ और छोटे भाई को लेकर पूलिस के पास गयी पूलिस का कहना था कि माँ पापा शादी शूदा हे और हम हमारे पापा के घर मे रहते हे तो जबरजसती का केस नहीं है टि आई सर द्वारा हमें मदद मिली पापा को 2जनवरी2017 तक की जैल हूई लेकिन पापा ने माँ मूझे और मेरे छोटे भाई को जान से मारने व तेजाब ड़ालने कि धमकी दि है माँ भाई या मे हम तिनो मे से किसी को कूछ होता है तो उसके जिम्मेदार पापा दादी होंगे

    अगर किसी ने मेरी माँ की ये कहानी पड़ी है तो पलीस मूझे बताये क्या शादी कर लेने से एक औरत के साथ कूछ भि करने का अधिकार देकर देता है हमारा समाज

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  7. sharab pee pee ke ghar pe roj patni ko peetna is ki shikayat kahan kare

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  8. Purush Ko torcher karne wala kanoon hai ye, mahilaye iska durupayog bahut jyada krti h,

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