उपासना सैग
समाज बदल रहा है ... मानसिकता बदल रही है ... लेकिन दामीनी जैसी लड़कियों को स्वीकारने के सवाल पर लड़कों ने गोल-मोल जवाब क्यों दिए ...??
दामिनी
के साथ घटी दुर्घटना और उसका चले जाना ...सारे भारत को झंझोड़ कर रख दिया।
लेकिन मुझे लगता है कि सिर्फ झंझोड़ा ही है , नींद से जागना अभी बाकी है
शायद,नहीं तो हर रोज़ ऐसी ही घटना फिर से सुनने में नहीं आती।
मैंने
मेरे आस -पास की महिलाओं - लड़कियों और कुछ पढ़े लिखे लड़कों से भी बात
की,जिसके संदर्भ में अधिकतर महिलाओं का यही कहना है कि लड़कियों का इस तरह
रात को बाहर निकलना सही नहीं है। वे अपनी बेटियों को कदापि ऐसे बाहर नहीं
जाने देगी , जब तक वे उनके सामने है,और जब बाहर पढने भेजेंगी तो भी एक बार
यही सख्त ताकीद करेगी के वे बाहर ना निकले।
------------------------------ ------------------------------ ------------------------------ -------------------
नीलम
सीकरी ने कहा कि उनको 16 दिसम्बर की घटना टीवी से मालूम हुई और उनको जान
कर बहुत दुःख हुआ कि कोई कैसे इस तरह की दरिंदगी कर सकता है।
छेड़खानी की घटना के बारे में नीलम कहती है कि महिलाओं को ऐसी स्थिति से दो-चार होना पड़ता है तो सबसे बेहतर यही है कि इग्नोर कर दिया जाये, बात बढाने में कोई फायदा नहीं है,उनके अनुसार लोग बात ही बनाते है औरत में ही नुक्स ढूंढते है तो चुप्पी ही बेहतर है।
वह सेक्स-एजुकेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के विरोध में है, क्यूंकि जो प्रकृति प्रद्दत है उसका समय से पहले ज्ञान क्यूँ।
जहाँ तक लड़के - लड़कियों की परवरिश में भेद -भाव की बात है वह नीलम नहीं जानती क्यूंकि वह स्वयं दो बहने रही है और उनके खुद के दो बेटे हैं।
नीलम का मानना है कि कोई भी लड़की जब ऐसी घटना से गुजरती है तो उसे मानसिक तौर से सहारे की ज्यादा जरूरत होती है तो वह उसकी सहायता जरुर करेगी।
..............................
पूजा सहारण , जो कि एक ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल है , ने बताया के उन्होंने यह खबर अखबार में पढ़ी और ज्यादा गौर नहीं किया क्यूंकि ऐसी घटनाये बहत आम हो गयी और आम भारतीयों की तरह उसकी भी संवेदनाये मर चुकी है,लेकिन जब बहुत हंगामा हुआ तो उसने भी ध्यान दिया। वह इस घटना की बहुत निंदा करते हुए कहती है की हम भारतीयों में अब जान ना रही।
छेड़खानी की घटना के बारे में उसका कहना है कि यदि उसकी नज़रों के सामने कोई ऐसी घटना होती है तो वह उसका विरोध करेगी और जो लोग देख रहें हों उनको भी अपने साथ विरोध में शामिल होने को कहेगी,क्यूंकि ऐसे तो किसी की भी बेटी सुरक्षित नहीं रहेगी।
सेक्स-एजुकेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात करने पर वह सहमत नहीं है, वह कहती है कि जितना ज्ञान आज कल के बच्चों में है वह बड़ों से भी ज्यादा है, वह कहती है कि रोज़ उसे सुबह आकर स्कूल के शौचालय की दीवारें साफ करवानी पड़ती है क्यूँ कि उन दीवारों पर बहुत सारा ज्ञान चित्रों के माध्यम से उकेरा होता है,उन्होंने यौन-शिक्षा की बजाय नैतिक शिक्षा देने पर अधिक जोर दिया है।
उसके एक बेटी और एक बेटा है वह दोनों में कोई भेदभाव नहीं रखती और सामान व्यवहार और शिक्षा देने पर ही जोर देती है, लेकिन यह भी मानती है की लड़कियों को सावधान तो रहना ही चाहिए।
पूजा ने कहा कि वह पीड़ित लड़की के लिए कोई भी सहायता करने को तैयार है,उसको यह भी समझाने की कोशिश करेगी के जो हुआ उसमे उसका कोई दोष नहीं था।
..............................
गृहिणी संतोष सियाग का कहना है , उसे यह खबर टीवी और समाचार पत्र दोनों से मिली। उसे यह सब जान कर बहुत दुःख हुआ और उसकी मांग है के दुराचारियों को सख्त सजा मिले।
वह कहती है कि अगर उनके सामने ऐसी कोई घटना घटती है तो वह पूरी कोशिश करके रोकने की कोशिश करेगी और जो गलत हरकत करेगा उसे समझाएगी और ना समझे तो थप्पड़ भी लगा सकती है।
वह अपने बच्चों में लिंग भेद नहीं करती,सामान रूप से प्यार और शिक्षा का समर्थन करती है।
संतोष को भी सेक्स- एजुकेशन पाठ्यक्रम में लगाये जाने का विरोध है।
दामिनी जैसी किसी भी लड़की को वह मानसिक संबल देने को तैयार है और उसके परिवार को भी समाज से कट कर ना रहने का सुझाव देतीं हैं ।
..............................
बी . ए . प्रथम वर्ष की छात्रा विभु को इस घटना का टीवी के माध्यम से पता चला, उसे बहुत दुःख हुआ।
वह महीने में लगभग दो बार अपने घर जाती है तो बस से सफर के दौरान छेड़खानी की समस्या से दो-चार होती ही रहती है। उसका कहना है, लोगों के पास इतने तरीके हैं छेड़ने के , शरीर को स्पर्श करने के , कि उसे सोच कर भी हैरानी होती है। उसने बताया , एक तरफ तो बेटा कहेंगे और दूसरी तरफ शरीर को स्पर्श करने का कोई मौका नहीं चूकेंगें , जैसे पेंट की जेब से कभी रुमाल तो कभी मोबाईल या पैसे ही निकालने लगेंगे, जिस कारण अंकल जी की कोहनी उनके शरीर को छू ही जाती है चाहे कितनी भी सिकुड़ कर बैठो।
हालांकि
घर आकर माँ को बताते हैं तो माँ कहती है जब कोई ऐसे करे , अंकल जी की तरफ
के हाथ को कमर पर रख लिखा करो और लगे कि उनकी कोहनी आपको छूने वाली है तो
जोर से उनकी कमर पर अपनी कोहनी मार दो वह बोलने लायक भी नहीं रहेगा और समझ
भी जायेगा।
विभु के भाई को ही डांट पड़ती है विभु और उसकी बहन के कारण।
विभु भी यौन - शिक्षा को पाठ्यक्रम के लागू करने को सही नहीं मानती।
..............................
यह तो थी महिलाओं की बातें और उनके सुझाव और चिंताए।
यही कुछ
सवाल पुरुषों से भी किये गए तो कुछ जवाब तो सकारात्मक थे लेकिन छेड़खानी और
रेप जैसी घटनाओं के सवाल का कोई जवाब नहीं मिला,पाठ्यक्रम में
सेक्स-एजुकेशन यहाँ भी पसंद नहीं की गयी।
अमित
सियाग जो अभी बी . टेक . की पढाई कर रहे हैं , उनसे जब पूछा गया कि अगर
कोई बलात्कार पीड़ित लड़की हो और आपको उससे विवाह करना पड़े तो ..., उनका जवाब
था मेरे माता -पिता चाहेंगे तो शायद ....यानि की गोल माल जवाब ...लेकिन जब
उनसे पूछा गया की अगर आप पिता हो तो अपने बच्चे के लिए क्या फैसला लेंगे
...जवाब सच में लाजवाब करने वाला था , अगर उसका बच्चा चाहेगा तो जरुर शादी
कर देगा। जवाब यहाँ भी गोल माल ही था लेकिन ईमानदारी भरा तो मिला ,यह नयी
पीढ़ी की सकारात्मक सोच है।
.............................. .............................. .............................. ...
कवयित्री
निवास : जयपुर
प्रकाशित रचनाएँ: बोधि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक,
"स्त्री होकर सवाल करती है" और विभिन्न ब्लॉग पर,
कविताएँ,कहानियाँ प्रकाशित हो चुकीं हैं
उपासना सियाग
गृहिणीकवयित्री
निवास : जयपुर
प्रकाशित रचनाएँ: बोधि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक,
"स्त्री होकर सवाल करती है" और विभिन्न ब्लॉग पर,
कविताएँ,कहानियाँ प्रकाशित हो चुकीं हैं
0 comments:
Post a Comment