Friday, January 11, 2013

'इनकी भी सुनें ' कार्यक्रम की रिपोर्ट



ये घरों में साफ़ - सफाई और दूसरे कई तरह के घरेलू काम करतीं हैं,आमतौर पर हर रोज सुबह ऑफिस जाने वाले लोग सैर पर या एक्सरसाईज के लिए घर से बाहर जातें हैं उस समय ये अपने घर का काम ख़त्म करके इनके घरों में काम कर रहीं होतीं हैं, इनके खुद के बच्चे भी स्कूल जातें हैं, लेकिन ये रोजी-रोटी के लिए दूसरों के बच्चों का टिफिन तैयार करने के लिए अपने बच्चों को छोड़कर दूसरों के घरों में काम करने आ जातीं हैं | घरों में काम करने वाली इन महिलाओं की बहुत सारी समस्याएँ होती हैं, शारीरिक रूप से तो ये कमजोर होतीं ही हैं, मानसिक रूप से भी इन्हें अपने मालिकों के तानों या काम से वापस घर लौटने पर पति द्वारा की हुई पिटाई करके प्रताड़ित की जाती हैं, आर्थिक तंगी .. सरकार द्वारा मिले अधिकारों से अनभिज्ञ अपनी जीविका चलाने के लिए ये महिलाऐं मजूबर हैं कम वेतन में अथक परिश्रम करने के लिए .

विगत दिनों ४ नवम्बर को   नयी दिल्ली के कीर्ति नगर पुलिस स्टेशन के पास एक पार्क में इनकी इन्ही समस्याओं को सुनने के लिए और इन्हें समझने के लिए फर्गुदिया समूह द्वारा एक आयोजन 'इनकी भी सुनें '
  किया गया, लगभग चालीस से भी अधिक घरों में काम करने वाली महिलाओं ने इस आयोजन में भाग लिया, सबकी अपनी अलग-अलग समस्यें थीं.

उनमें से एक महिला ने बताया की अगर थोड़ी भी देर हो जाए तो मालकिन उसे अपमानित करती है, बीमारी-हजारी में छुट्टी करने पर निर्धारित तनख्वाह में से पैसे काट लिए जातें हैं .

वेतन और मालिक की परेशानी से अलग परेशानी का जिक्र एक महिला ने किया, उसने बताया कि इतनी महंगाई में वो झुग्गी का किराया बारह सौ रुपये देती है, ब्लैक में सिलेंडर भी बारह सौ रुपये का ही लेना पड़ता है जबकि महीने भर की आमदनी होती है तीन हजार रुपये.

पूनम और बहुत सारी महिलाओं की एक सामान समस्या थी, उन सभी के राशन कार्ड नहीं थे, न ही उन्हें ये जानकारी थी कि राशनकार्ड कैसे और कहाँ बनतें हैं.

आर्थिक तंगी तो थी ही कुछ ने अपनी घरेलू समस्याओं का भी जिक्र किया, जैसे_ पति शराब पीता है और शराब के नशे में उनकी पिटाई भी करता है .

कुछ महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बन्धी ऐसी समस्याएँ थी जिनकी तरफ हमने उनका ध्यान खिंचा, दाँतों से सम्बंधित गंभीर बीमारी से ग्रसित महिलाओं की उसके घातक परिणाम के बारे में बताया गया , ( विदित हो की साधारण समझी जाने वाली दांतों की बीमारी से रोगी की जान भी जा सकती है ) 

घरों में काम करने वाली करीब चालीस महिलाओं की समस्या हमने सुनी ... उनकी समस्या सुनते हुए जब हमने उनसे ये कहा कि "हम भी आपकी ही तरह हैं .. हम भी काम करतें हैं .. आपसे अलग नहीं हैं " तब उन महिलाओं के चेहरों पर आया आत्मविश्वास वहां उपस्थित सभी लोगों ने देखा, छोटे - छोटे उपहार पाकर ये सभी बहुत खुश थीं .

कुछ की समस्याओं का समाधान उसी समय सलाह और सुझाव देकर कर दिया गया, कुछ महिलाऐं जिनके पास राशनकार्ड नहीं हैं उन्हें राशनकार्ड बनवाकर दिए जायेंगें, झुग्गी में रहने वाली कुछ घरेलू महिलाएं जो सिलाई सीखना चाहती हैंउन्हें सिलाई सिखवाया जायेगा . फर्गुदिया समूह के सदस्य मिलकर उनके लिए और भी कई योजनाएं बना रहें हैं जिससे वे आर्थिक रूप से समृद्ध होंगी .. शिक्षित होंगी .. अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगी .


फर्गुदिया संचालिका
शोभा मिश्रा

1 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार (12-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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