मनीषा पाण्डेय
लेकिन उस लड़के को पांच साल तक नहीं कह पाईं, ''आउट'', जिससे वो प्रेम करने लगी थीं।
बीस साल की उम्र में प्रेम पाने की ऐसी अदम्य कामना थी, जो मां-पापा और घर के तमाम प्यार करने वाले लोग पूरी नहीं कर सकते थे।
वो सारी कामनाएं, जो वो लड़का पूरा करता था। लेकिन जो हर मामले में बहुत सामंती और controlling था। लड़कियां उसे नहीं कह सकीं, ''आउट''।"
_________________________________________________________________________________
प्यारी लड़कियों,
अगर तुम इस लड़ाई में इसलिए शामिल नहीं हो क्योंकि तुम्हें लगता है कि
- जिस लड़की के साथ गैंगरेप हुआ, वो तुम नहीं हो
- कि जिस लड़की के मुंह पर तेजाब फेंका गया, वो तुम नहीं हो
- कि जिस लड़की को दहेज के लिए जलाकर मार डाला गया, वो तुम नहीं हो
- कि जिस औरत का पति उसे रोज या साल में कभी एक बार ही सही, पीटता है, वो तुम नहीं हो
- कि जो लड़की महंगी पढ़ाई इसलिए नहीं कर पाई कि पापा सिर्फ भाई की फीस भर सकते थे, वो तुम नहीं हो
- कि जो दिन रात घर-गृहस्थी के चूल्हे में फुंक रही है, वो तुम नहीं हो
- कि घर में अच्छी सब्जी और मिठाई जिसकी थाली में सबसे कम आती है, वो तुम नहीं हो
- कि दो घंटे लोकल टेन में सफर करने के बाद घर पहुंचते ही जो और सबसे पहले रसोई में घुसती है, वो तुम नहीं हो
- कि जिसके पति ने कभी बिस्तर पर उसकी भावनाओं और जरूरतों का ख्याल नहीं रखा, वो तुम नहीं हो
- कि पीरियड्स के समय भी जो रोज की तरह घर और ऑफिस में खटती है, वो तुम नहीं हो
- कि जिसके पेट का बच्चा गिराया गया क्योंकि वो लड़की थी, वो तुम नहीं हो
- कि सफदरजंग अस्पताल के वुमन वॉर्ड से जो अभी-अभी अबॉर्शन करवाकर बाहर निकली थी और उसका पति उसे कह रहा था, "तेज-तेज चलो," वो तुम नहीं हो
तो तुमसे बड़ी अभागी कोई नहीं है।
अगर तुम इस लड़ाई में इसलिए शामिल नहीं हो क्योंकि तुम्हें लगता है कि
- जिस लड़की के साथ गैंगरेप हुआ, वो तुम नहीं हो
- कि जिस लड़की के मुंह पर तेजाब फेंका गया, वो तुम नहीं हो
- कि जिस लड़की को दहेज के लिए जलाकर मार डाला गया, वो तुम नहीं हो
- कि जिस औरत का पति उसे रोज या साल में कभी एक बार ही सही, पीटता है, वो तुम नहीं हो
- कि जो लड़की महंगी पढ़ाई इसलिए नहीं कर पाई कि पापा सिर्फ भाई की फीस भर सकते थे, वो तुम नहीं हो
- कि जो दिन रात घर-गृहस्थी के चूल्हे में फुंक रही है, वो तुम नहीं हो
- कि घर में अच्छी सब्जी और मिठाई जिसकी थाली में सबसे कम आती है, वो तुम नहीं हो
- कि दो घंटे लोकल टेन में सफर करने के बाद घर पहुंचते ही जो और सबसे पहले रसोई में घुसती है, वो तुम नहीं हो
- कि जिसके पति ने कभी बिस्तर पर उसकी भावनाओं और जरूरतों का ख्याल नहीं रखा, वो तुम नहीं हो
- कि पीरियड्स के समय भी जो रोज की तरह घर और ऑफिस में खटती है, वो तुम नहीं हो
- कि जिसके पेट का बच्चा गिराया गया क्योंकि वो लड़की थी, वो तुम नहीं हो
- कि सफदरजंग अस्पताल के वुमन वॉर्ड से जो अभी-अभी अबॉर्शन करवाकर बाहर निकली थी और उसका पति उसे कह रहा था, "तेज-तेज चलो," वो तुम नहीं हो
तो तुमसे बड़ी अभागी कोई नहीं है।
_________________________________________________________________________________
- मैं मां से तेज आवाज में बात करने वाले, उन्हें डांटने और उन पर चिल्लाने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं मां पर हाथ उठाने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं मां को दिन भर आदेश देने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं मां को यह कहने वाले कि ''तुम चुप रहो, तुम्हें क्या आता है,'' पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं अपना गंदा अंडरवियर बाथरूम में छोड़कर आने वाले पापा और भाई दोनों को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं खाना खाकर अपनी थाली टेबल पर सरका देने वाले पापा और भाई को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं खाना पसंद न आने पर थाली फेंक देने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं अपनी जाति में मेरे लिए दूल्हा ढूंढने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं भाई को सारी संपत्ति और मुझे दहेज देने वाले पिता को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं दादू की सारी प्रॉपर्टी अकेले हड़प कर लेने और बुआ को कुछ भी न देने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
और अंत में
- मैं मुझे ''चुप रहो, धीरे बोलो, धीरे चलो, धीरे हंसो, छत पर मत जाओ, घर में रहो, लड़कों से बात मत करो, दुपट्टा ओढ़ो, पीरियड्स का स्टेन छुपाओ'', कहने वाली मां को भी रिजेक्ट करती हूं।
_________________________________________________________________________________
- मैं मां पर हाथ उठाने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं मां को दिन भर आदेश देने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं मां को यह कहने वाले कि ''तुम चुप रहो, तुम्हें क्या आता है,'' पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं अपना गंदा अंडरवियर बाथरूम में छोड़कर आने वाले पापा और भाई दोनों को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं खाना खाकर अपनी थाली टेबल पर सरका देने वाले पापा और भाई को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं खाना पसंद न आने पर थाली फेंक देने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं अपनी जाति में मेरे लिए दूल्हा ढूंढने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं भाई को सारी संपत्ति और मुझे दहेज देने वाले पिता को रिजेक्ट करती हूं।
- मैं दादू की सारी प्रॉपर्टी अकेले हड़प कर लेने और बुआ को कुछ भी न देने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
और अंत में
- मैं मुझे ''चुप रहो, धीरे बोलो, धीरे चलो, धीरे हंसो, छत पर मत जाओ, घर में रहो, लड़कों से बात मत करो, दुपट्टा ओढ़ो, पीरियड्स का स्टेन छुपाओ'', कहने वाली मां को भी रिजेक्ट करती हूं।
_________________________________________________________________________________
1- देश, सरकार और कानून से पहले मैं अपने घर में अपनी आजादी और बराबरी हासिल करूंगी।
2- घर में मेरे और मेरे भाई के लिए अलग-अलग नियम नहीं होगा। घर के भीतर और बाहर मुझे वह सब करने का हक है, जो हक भाई को है।
3- पापा मां से तेज आवाज में, चिल्ला कर या कभी डांटकर भी बात नहीं करेंगे। हाथ उठाना तो बहुत दूर की बात है। मैं ऐसा होने नहीं दूंगी। मैं मां पर हाथ उठाने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
4- घर के सारे काम साझे होंगे। पापा और भाई को भी घर के कामों में मां का हाथ बंटाना होगा।
5- मेरी पढ़ाई और कॅरियर बहुत कीमती है। मुझे अपने पैसे कमाने हैं और अपना घर बनाना है।
6- पिता की संपत्ति में मेरा और भाई का बराबर का हक होगा। मैं हर उस कौड़ी को लात मारती हूं, जो मेरे दहेज के नाम पर जमा की जा रही है।
7- मैं प्रेम करूंगी। अपनी शादी का फैसला सिर्फ और सिर्फ मैं लूंगी। मैं जाति और धर्म नहीं मानती। घर में भी कोई पंडिताई या ठकुरैती बघारेगा तो मैं उसे रिजेक्ट करती हूं।
8- मैं उन सारे रिश्तेदारों चाचा-मामा-नाना-काका-ताया-बुआ को रिजेक्ट करती हूं, जो जाति, धर्म, पितृसत्ता और संसार का सारा कचरा अपने दिमाग में लेकर चलते हैं।
9- मैं अपने ऊपर लगे मां-बहन-बेटी-पत्नी-बहू के सारे टैग्स को रिजेक्ट करती हूं। मैं सबसे पहले एक इंसान हूं और मुझे बराबरी और सम्मान से जीने का हक है।
10- मैं अच्छा पैसा कमाने वाले पति की सुविधाओं और पैसे को रिजेक्ट करती हूं। मैं उन तमाम ऐशो-आराम के लालच को रिजेक्ट करती हूं।
11- मैं सुंदरता के उन सारे मानदंडों को रिजेक्ट करती हूं, जो टेलीविजन और विज्ञापन मुझे बताते हैं। मैं अपनी सुंदरता के पैमाने खुद गढूंगी।
- मैं सबसे पहले अपने घर के भीतर एक इंसान बनूंगी।
_________________________________________________________________________________
"मेरे मुहल्ले का एक लड़का अकसर सड़क पर मेरे साथ छेड़खानी करता था। एक दिन मैंने उसे बीच सड़क पर ही पीट दिया। घर आकर बताया कि उसे पीटकर आई हूं। 2- घर में मेरे और मेरे भाई के लिए अलग-अलग नियम नहीं होगा। घर के भीतर और बाहर मुझे वह सब करने का हक है, जो हक भाई को है।
3- पापा मां से तेज आवाज में, चिल्ला कर या कभी डांटकर भी बात नहीं करेंगे। हाथ उठाना तो बहुत दूर की बात है। मैं ऐसा होने नहीं दूंगी। मैं मां पर हाथ उठाने वाले पापा को रिजेक्ट करती हूं।
4- घर के सारे काम साझे होंगे। पापा और भाई को भी घर के कामों में मां का हाथ बंटाना होगा।
5- मेरी पढ़ाई और कॅरियर बहुत कीमती है। मुझे अपने पैसे कमाने हैं और अपना घर बनाना है।
6- पिता की संपत्ति में मेरा और भाई का बराबर का हक होगा। मैं हर उस कौड़ी को लात मारती हूं, जो मेरे दहेज के नाम पर जमा की जा रही है।
7- मैं प्रेम करूंगी। अपनी शादी का फैसला सिर्फ और सिर्फ मैं लूंगी। मैं जाति और धर्म नहीं मानती। घर में भी कोई पंडिताई या ठकुरैती बघारेगा तो मैं उसे रिजेक्ट करती हूं।
8- मैं उन सारे रिश्तेदारों चाचा-मामा-नाना-काका-ताया-बुआ को रिजेक्ट करती हूं, जो जाति, धर्म, पितृसत्ता और संसार का सारा कचरा अपने दिमाग में लेकर चलते हैं।
9- मैं अपने ऊपर लगे मां-बहन-बेटी-पत्नी-बहू के सारे टैग्स को रिजेक्ट करती हूं। मैं सबसे पहले एक इंसान हूं और मुझे बराबरी और सम्मान से जीने का हक है।
10- मैं अच्छा पैसा कमाने वाले पति की सुविधाओं और पैसे को रिजेक्ट करती हूं। मैं उन तमाम ऐशो-आराम के लालच को रिजेक्ट करती हूं।
11- मैं सुंदरता के उन सारे मानदंडों को रिजेक्ट करती हूं, जो टेलीविजन और विज्ञापन मुझे बताते हैं। मैं अपनी सुंदरता के पैमाने खुद गढूंगी।
- मैं सबसे पहले अपने घर के भीतर एक इंसान बनूंगी।
_________________________________________________________________________________
मां डर गईं।
पापा ने कहा, "शाबास।''
फिर एक दिन यूनिवर्सिटी के सामने एक लड़का मेरी छाती पर कोहनी मारकर चला गया। मैंने उसे बीच सड़क ही दम भर थूरा। घर आकर बताया।
मां डर गईं।
पापा ने कहा, ''शाबास।''
फिर पापा बोले, तुम अपने पास एक चाकू रखा करो। छेड़ने वाले को मारकर भी आओगी तो मुझे गर्व होगा।
मां डरती ही रहीं। आज भी डरती हैं।
हमें डरना छोड़ना होगा, अपनी इस देश की लाखों डरी हुई मांओं ओर लड़कियों का डर भगाने के लिए।"
_______________________________________________________________________________
ब्रिटेन से एक अंग्रेज गवर्नर हिंदुस्तान आया और रात के नौ बजे महात्मा गांधी से मिलने गया। गांधी के चाकरों ने उसे दरवाजे पर ही रोक दिया। बोले, ''बापू सो रहे हैं।''
फिर गवर्नर रात के ग्यारह बजे मुहम्मद अली जिन्ना से मिलने पहुंचा। जिन्ना के दरबान ने उसे गेट पर ही रोक दिया। बोला, ''ये साहब के सोने का वक्त है।''
अब गवर्नर रात के दो बजे बाबासाहेब आंबेडकर से मिलने पहुंचा। बाबा साहेब ने खुद ही दरवाजा खोला। गवर्नर चौंक गया। बोला, "अरे, गांधी, जिन्ना सब तो सो रहे हैं और आप जाग रहे हैं।"
बाबासाहेब बोले, "उनके लोग जाग रहे हैं इसलिए वो सो रहे हैं। मेरे लोग सो रहे हैं, इसलिए मैं जाग रहा हूं। उन्हें जगाने के लिए।"
हमारी बहुत सारी बहनें, हजारों लड़कियां, औरतें, माएं - सब सो रही हैं। इसलिए हमें जागना होगा, उन्हें जगाने के लिए।"
_________________________________________________________________________________
लेकिन मैंने और हम सब लड़कियों ने तय किया है कि हम डरेंगे नहीं। न घरों से बाहर निकलना छोड़ेंगे, न अपनी आजादी, न अपना स्पेस। हम अपनी सुरक्षा के हर उपाय करना सीखेंगे, लात लगाना सीखेंगे, जूता चलाना सीखेंगे। लाल मिर्च पाउडर और चाकू अपने साथ लेकर निकलेंगे। लेकिन हिंदुस्तान के शूरवीर हरामियों के आगे सरेंडर नहीं करेंगे।"
________________________________________________________________________________
- चाय लाओ।
- पानी लाओ
- अखबार कहां है
- अरे मेरा चश्मा
- जरा वो गिलास तो उठा देना (गिलास उनकी पिछाड़ी जितनी दूरी पर टेबल पर रखा है, लेकिन उसे उठाने के लिए ससुर रसोई में बीवी को आवाज लगाते हैं)
- मेरे तंबाकू की डिब्बी कहां गई
- जरा तेल तो दो
- कंघी कहां है
- जरा बाम तो उठाकर देना
- (खाना खाते वक्त) अचार लाओ, चटनी लाओ, दही लाओ, पापड़ भी दे दो, एक हरी मिर्च देना
पत्नी डायबिटिक मिश्रा जी की दिलोजान से दिन-रात सेवा करती हैं। मिश्रा जी को फर्क ही नहीं पड़ता कि उनकी बुढ़ा रही बीवी मेनोपॉज के बाद के भयानक असर से जूझ रही हैं। हॉर्मोन से मिलने वाली ताकत बंद। लेकिन मिश्रा जी को क्या,
वो आदेश दिए जा रहे हैं और मिश्राइन दौड़ लगा रही हैं। पति परमेश्वर का रूप जो होता है।
बहुत से पुरुष मुझसे ये सवाल पूछ रहे हैं कि क्या पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर और अपना पैसा कमाने वाली आजाद औरतें किसी बेरोजगार पुरुष से शादी करना चाहेंगी, जैसेकि पढ़ा-लिखा, आत्मनिर्भर और अपना पैसा कमाने वाला पुरष बेरोजगार स्त्री से शादी करता है।
चलिए पहले बेरोजगार स्त्री के दिन भर के कामों की एक लिस्ट बनाते हैं-
1- सुबह सबसे पहले उठकर आपके लिए चाय-कॉफी बनाती है
2- आपके बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजती है
3- फिर आपके लिए नाश्ता बनाती है, खाना बनाती है, आपका टिफिन बनाती है
4- आपको तो अपने तौलिए, मोजे, रूमाल और चड्ढी का भी पता नहीं होता। आपकी हर चीज औरत संभालती है।
5- दिन भर में एक हजार बार पसारा हटाती है, हर चीज संभाल-संभालकर जगह पर रखती रहती है।
6- आपको तो अपना गीला तौलिया सुखाना भी नहीं आता, आपके मोजे बदबू मारें। एक काम अपना या घर का आप तमीज से कर नहीं सकते। सब औरत करती है।
7- आपका बच्चा नौ महीने अपने पेट में रखती है, हजार तकलीफें झेलती है। आप फोकट में बाप बने इतराते हैं
8- ऑफिस से लौटकर आप टीवी देखते हैं, ज्ञानी हुए तो बेडरूम में साफ, सुंदर, सजीले बिस्तर पर टांग फैलाकर किताब पढ़ते हैं। (बेडरूम साफ, सुंदर, सजीला हवा में नहीं हो गया। किसी की मेहनत है उसके पीछे। )
9- औरत घर के सारे काम निपटाती है, बच्चों को सुलाकर सबसे आखिर में सोती है।
10- आपकी मर्जी हुई तो आपके सुख-आनंद का साजो-सामान भी जुटाती है। आप बिना ये पूछे- जाने कि उसे सुख मिला या नहीं, बेपरवाही से नाक बजाते सोते हैं।
11- सुबह सबसे पहले जागी औरत रात में सबसे आखिर में सोती है।
12- और इन सबके बावजूद घर में सबसे ज्यादा टेकेन फॉर ग्रांटेड वही है।
तो बेरोजगार पुरुषों, आपसे शादी करने में हमें कोई एतराज नहीं। शर्त यही है कि औरत के ये सारे काम आपको करने होंगे। और हां, आपको टेकेन फॉर ग्रांटेड तो जरूर ही लिया जाएगा।
मंजूर है ?
शोषण और गैरबराबरी की हर लड़ाई में दुश्मन की साफ शिनाख्त जरूरी है।
1- वर्ग संघर्ष में दुश्मन साफ है। बुर्जुआ और सर्वहारा दोस्त नहीं हो सकते।
2- ऊंची जाति और रक्त शुद्धता के अहंकार में डूबा हुआ सवर्ण दबाए गए लोगों का साफ दुश्मन है।
उसके साथ जिंदगी बिताने की मजबूरी नहीं। उसे रिजेक्ट किया जा सकता है।
3- बहुसंख्यक हिंदू अपने घटिया दंभ में लहराते रहें। उन्हें दुत्कारा जा सकता है। मुसलमान कम से कम अपनी निजी जिंदगी में किसी सांप्रदायिक व्यक्ति को नकार सकता है।
लेकिन औरत का दुश्मन कौन है -
- उसे जन्म देने वाला पिता
- उसकी उंगली पकड़कर चलना सीखने वाला भाई
- उसके साथ रोज बिस्तर साझा करने वाला पति, प्रेमी, ब्वॉयफ्रेंड
औरत के इंसान बनने की राह में पुरुष सबसे बड़ी दीवार है, लेकिन एक दुश्मन के रूप में उसकी शिनाख्त मुश्किल है। वो दुश्मन भी है, लेकिन उसी के साथ रहने, जीने, सोने, प्रेम करने की मजबूरी भी।
ये फेमिनिस्ट आजादख्याल इमेज ही तो उन स्त्रियों की जीवन भर की कमाई है। वो ये कैसे दिखा दें कि-
- पानी लाओ
- अखबार कहां है
- अरे मेरा चश्मा
- जरा वो गिलास तो उठा देना (गिलास उनकी पिछाड़ी जितनी दूरी पर टेबल पर रखा है, लेकिन उसे उठाने के लिए ससुर रसोई में बीवी को आवाज लगाते हैं)
- मेरे तंबाकू की डिब्बी कहां गई
- जरा तेल तो दो
- कंघी कहां है
- जरा बाम तो उठाकर देना
- (खाना खाते वक्त) अचार लाओ, चटनी लाओ, दही लाओ, पापड़ भी दे दो, एक हरी मिर्च देना
पत्नी डायबिटिक मिश्रा जी की दिलोजान से दिन-रात सेवा करती हैं। मिश्रा जी को फर्क ही नहीं पड़ता कि उनकी बुढ़ा रही बीवी मेनोपॉज के बाद के भयानक असर से जूझ रही हैं। हॉर्मोन से मिलने वाली ताकत बंद। लेकिन मिश्रा जी को क्या,
वो आदेश दिए जा रहे हैं और मिश्राइन दौड़ लगा रही हैं। पति परमेश्वर का रूप जो होता है।
________________________________________________________________________________
चलिए पहले बेरोजगार स्त्री के दिन भर के कामों की एक लिस्ट बनाते हैं-
1- सुबह सबसे पहले उठकर आपके लिए चाय-कॉफी बनाती है
2- आपके बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजती है
3- फिर आपके लिए नाश्ता बनाती है, खाना बनाती है, आपका टिफिन बनाती है
4- आपको तो अपने तौलिए, मोजे, रूमाल और चड्ढी का भी पता नहीं होता। आपकी हर चीज औरत संभालती है।
5- दिन भर में एक हजार बार पसारा हटाती है, हर चीज संभाल-संभालकर जगह पर रखती रहती है।
6- आपको तो अपना गीला तौलिया सुखाना भी नहीं आता, आपके मोजे बदबू मारें। एक काम अपना या घर का आप तमीज से कर नहीं सकते। सब औरत करती है।
7- आपका बच्चा नौ महीने अपने पेट में रखती है, हजार तकलीफें झेलती है। आप फोकट में बाप बने इतराते हैं
8- ऑफिस से लौटकर आप टीवी देखते हैं, ज्ञानी हुए तो बेडरूम में साफ, सुंदर, सजीले बिस्तर पर टांग फैलाकर किताब पढ़ते हैं। (बेडरूम साफ, सुंदर, सजीला हवा में नहीं हो गया। किसी की मेहनत है उसके पीछे। )
9- औरत घर के सारे काम निपटाती है, बच्चों को सुलाकर सबसे आखिर में सोती है।
10- आपकी मर्जी हुई तो आपके सुख-आनंद का साजो-सामान भी जुटाती है। आप बिना ये पूछे- जाने कि उसे सुख मिला या नहीं, बेपरवाही से नाक बजाते सोते हैं।
11- सुबह सबसे पहले जागी औरत रात में सबसे आखिर में सोती है।
12- और इन सबके बावजूद घर में सबसे ज्यादा टेकेन फॉर ग्रांटेड वही है।
तो बेरोजगार पुरुषों, आपसे शादी करने में हमें कोई एतराज नहीं। शर्त यही है कि औरत के ये सारे काम आपको करने होंगे। और हां, आपको टेकेन फॉर ग्रांटेड तो जरूर ही लिया जाएगा।
मंजूर है ?
________________________________________________________________________________
1- वर्ग संघर्ष में दुश्मन साफ है। बुर्जुआ और सर्वहारा दोस्त नहीं हो सकते।
2- ऊंची जाति और रक्त शुद्धता के अहंकार में डूबा हुआ सवर्ण दबाए गए लोगों का साफ दुश्मन है।
उसके साथ जिंदगी बिताने की मजबूरी नहीं। उसे रिजेक्ट किया जा सकता है।
3- बहुसंख्यक हिंदू अपने घटिया दंभ में लहराते रहें। उन्हें दुत्कारा जा सकता है। मुसलमान कम से कम अपनी निजी जिंदगी में किसी सांप्रदायिक व्यक्ति को नकार सकता है।
लेकिन औरत का दुश्मन कौन है -
- उसे जन्म देने वाला पिता
- उसकी उंगली पकड़कर चलना सीखने वाला भाई
- उसके साथ रोज बिस्तर साझा करने वाला पति, प्रेमी, ब्वॉयफ्रेंड
औरत के इंसान बनने की राह में पुरुष सबसे बड़ी दीवार है, लेकिन एक दुश्मन के रूप में उसकी शिनाख्त मुश्किल है। वो दुश्मन भी है, लेकिन उसी के साथ रहने, जीने, सोने, प्रेम करने की मजबूरी भी।
_________________________________________________________________________________
शोषण और गैरबराबरी की हर लड़ाई में दुश्मन की साफ शिनाख्त जरूरी है।
1- वर्ग संघर्ष में दुश्मन साफ है। बुर्जुआ और सर्वहारा दोस्त नहीं हो सकते।
2- ऊंची जाति और रक्त शुद्धता के अहंकार में डूबा हुआ सवर्ण दबाए गए लोगों का साफ दुश्मन है।
उसके साथ जिंदगी बिताने की मजबूरी नहीं। उसे रिजेक्ट किया जा सकता है।
3- बहुसंख्यक हिंदू अपने घटिया दंभ में लहराते रहें। उन्हें दुत्कारा जा सकता है। मुसलमान कम से कम अपनी निजी जिंदगी में किसी सांप्रदायिक व्यक्ति को नकार सकता है।
लेकिन औरत का दुश्मन कौन है -
- उसे जन्म देने वाला पिता
- उसकी उंगली पकड़कर चलना सीखने वाला भाई
- उसके साथ रोज बिस्तर साझा करने वाला पति, प्रेमी, ब्वॉयफ्रेंड
औरत के इंसान बनने की राह में पुरुष सबसे बड़ी दीवार है, लेकिन एक दुश्मन के रूप में उसकी शिनाख्त मुश्किल है। वो दुश्मन भी है, लेकिन उसी के साथ रहने, जीने, सोने, प्रेम करने की मजबूरी भी।
_________________________________________________________________________________
1- वर्ग संघर्ष में दुश्मन साफ है। बुर्जुआ और सर्वहारा दोस्त नहीं हो सकते।
2- ऊंची जाति और रक्त शुद्धता के अहंकार में डूबा हुआ सवर्ण दबाए गए लोगों का साफ दुश्मन है।
उसके साथ जिंदगी बिताने की मजबूरी नहीं। उसे रिजेक्ट किया जा सकता है।
3- बहुसंख्यक हिंदू अपने घटिया दंभ में लहराते रहें। उन्हें दुत्कारा जा सकता है। मुसलमान कम से कम अपनी निजी जिंदगी में किसी सांप्रदायिक व्यक्ति को नकार सकता है।
लेकिन औरत का दुश्मन कौन है -
- उसे जन्म देने वाला पिता
- उसकी उंगली पकड़कर चलना सीखने वाला भाई
- उसके साथ रोज बिस्तर साझा करने वाला पति, प्रेमी, ब्वॉयफ्रेंड
औरत के इंसान बनने की राह में पुरुष सबसे बड़ी दीवार है, लेकिन एक दुश्मन के रूप में उसकी शिनाख्त मुश्किल है। वो दुश्मन भी है, लेकिन उसी के साथ रहने, जीने, सोने, प्रेम करने की मजबूरी भी।
_________________________________________________________________________________
1- घर के भीतर उनके साथ भी बहुत सेटल तरीके से यही सबकुछ होता है,
2- कि उनमें और एक पारंपरिक स्त्री में कोई बहुत बुनियादी फर्क नहीं है।
वो इतने सालों से यही इमेज बिल्डिंग तो कर रही हैं। दोस्त, आसपास के लोग, पड़ोसी, ऑफिस के सहकर्मी, सब यही समझते हैं कि ये इंडीपेंडेंट लड़की बिंदास और अपनी शर्तों पर जीती है।
अगर उसने बता दिया कि शर्तें तो मर्द की ही हैं तो उसकी सारी इमेज एक मिनट में मिट्टी हो जाएगी। जीवन भर की कमाई है ये इमेज। ऐसे कैसे बर्बाद कर दें।
"सिर्फ सहमी हुई, पारंपरिक और परनिर्भर स्त्रियां ही अपनी पारंपरिक छवि को बचाए रखने के हजार जतन नहीं करतीं, हाइली एजूकेटेड, कमाने वाली, आत्मनिर्भर और फेमिनिस्ट इमेज वाली लड़कियां भी अपनी आजाद छवि को बचाने के हजार जतन करती हैं। क्या होगा अगर उन्होंने स्वीकार कर लिया तो कि उनका अपनी मर्जी से चुना गया दुनिया के सामने आजादख्याल जीवनसाथी भी
- घर के भीतर निहायत सामंती और कंटोलिंग है
- अधिकांश घरेलू काम अभी भी उसी के हिस्से में आते हैं
- साथ रहने के लिए अधिकांश समझौते उसे ही करने पड़ते हैं
- घर और साथ रहने की जिम्मेदारियों ने उसके मूवमेंट को सीमित कर दिया है, जबकि लड़का पहले की तरह छुट्टा घूमता है
फिर भी लड़कियां लड़के केा गेट आउट कहने का साहस नहीं कर पातीं। वो भी उतनी ही इनसिक्योर हैं, जितनी कि पारंपरिक परनिर्भर स्त्रियां।
और ये उत्तर भारतीय लड़कियों के साथ ज्यादा होता है। इनसिक्यारिटी और अकेलेपन का डर भयानक चीज है।"
"मुझे मीना कंडास्वामी बहुत पसंद है। मुश्किल से 30 साल की यह लड़की - इतनी हिम्मती, आत्मविश्वास से लबरेज, मुंहफट, तेज-तर्रार, खम ठोंककर अपनी बात कहने वाली, किसी से न डरने वाली, न घबराने, न शरमाने वाली।
हिंदी बोलने और हिंदी में लिखने वाली उत्तर भारत की कोई एक लड़की बताइए, जिस पर ये सारी उपमाएं फिट बैठती हों।
उत्तर भारतीय और हिंदीभाषी समाज ज्यादा सामंती और कूढ़मगज है। यहां की लड़कियों की आजादी की लड़ाई ज्यादा कठिन होगी।
समझ रही हो न लड़कियों, तुम्हारा रास्ता ज्यादा कठिन है। तुम्हारा हाथ पकड़ने, तुम्हारे साथ चलने वाले लोग कम हैं। तुम्हारा सफर लंबा है। पीठ ठोंककर तैयारी कर लो।"
इंडिया गेट से लौटने के बाद तुम्हारा अगला एक्शन प्लान क्या है ?
1- स्कूल में पढने वाली लडकियों के एग्जाम सिर पर हैं। क्या तुमने सबसे अच्छे नंबरों से पास होने, टॉप करने का लक्ष्य बनाया है ?
2- अपने पैरों पर खडे होने, अच्छी नौकरी पाने की तुम्हारी अगली योजना क्या है ?
3- पापा अपनी जाति में तुम्हारे लिए सुयोग्य वर ढूंढ रहे हैं। क्या तुम उन्हें ''ना'' कहने वाली हो ?
4- तुम्हारी जाति और धर्म से इतर जो तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड है, पापा उससे तुम्हारी शादी के सख्त खिलाफ हैं। क्या तुम अपने फैसले पर डटी रहने वाली हो ?
5- पापा भाई की इंजीनियरिंग की फीस और तुम्हारे दहेज के पैसे जोड रहे हैं। क्या सोचा है ? दहेज चाहिए या फीस ?
6- मामूली आय वाले पिता के पास एक ही बच्चे की इंजीनियरिंग की फीस भरने की औकात है। उन्होंने भाई को चुना है। तुम्हारा फैसला क्या है ?
7- तुम्हारे मां-पापा दोनों नौकरी करते हैं, लेकिन पापा घर के कामों में कभी मां का हाथ नहीं बंटाते। क्या पापा को भी जेंडर सेंसिटिव बनाने की जरूरत नहीं है। पापा से बहस करने वाली हो या नहीं ?
8- तुम्हारा अपनी मर्जी से चुना हुआ ब्वॉयफ्रेंड जेंडर सेंसिटिव नहीं है। वह तुम्हारे व्यक्तित्व को कुंद कर रहा है। क्या उसे अपनी जिंदगी से ''आउट'' कहने वाली हो ?
9- मोटा दहेज देकर और लेकर अपनी जाति में विवाह कहने वाले चाचा, मामा, ताया, बुआ आदि के लिए आज के बाद तुम्हारा जवाब क्या होगा ?
और अंत में -
इस बार कहां घूमने जाने का प्लान है ? क्यों न पांडिचेरी चला जाए। क्या ख्याल है ?
लड़कियों !
1- अपने घरों से बाहर निकलो ।
2- पब्लिक स्पेस पर कब्जा करो। यकीन करो, धरती की हर इंच जगह तुम्हारी है और तुम्हें कहीं भी जाने-होने-रहने-जीने से कोई रोक नहीं सकता।
3- जान लगाकर पढो, टॉप करो और अपना कॅरियर बनाओ। (करियर टॉप प्रिऑरिटी पर रखो।)
4- अपने पैसे कमाओ, अपना घर बनाओ। अपना कमरा और अपना स्पेस।
5- एक गाडी खरीदो, दो पहिया या चार पहिया, कुछ भी चलेगा। और उस पर सवार होकर पूरे शहर में घूमो, दूर दराज के शहरों में भी। चाहो तो पूरे देश भर में।
6- अपनी जिंदगी की जिम्मेदारी अपने हाथों में लो। अपने फैसले खुद करो।
7- अमीर पति का ख्वाब छोड दो। अमीर पति से मिलने वाली सुविधाओं के साथ गुलामी भी आती है। ये पैकेज डील है। सिर्फ एक चीज नहीं मिलेगी।
8- प्रेम करो, अपना सेक्चुअल पार्टनर खुद अपनी मर्जी से चुनो।
9- सजो-संवरो और सुंदर दिखो।
9- किताबें पढो और अच्छा सिनेमा देखो। (प्लीज लड़कियों, सलमान खान को देखकर आहें भरना बंद करो।)
10- अपने कमाए पैसे जमा करो और उस पैसों से पूरी दुनिया घूमो। सुंदरवन के जंगलों और कन्याकुमारी के समुद्र तट पर अकेले जाओ। मेरी यकीन करो, अगर हम समझदार, बुद्धिमान और आत्मविश्वास से भरे हैं तो हमारे साथ कुछ नहीं होगा। और यदि कुछ बुरा हो भी गया तो इसका ये मतलब नहीं कि अगली बार हम सुंदरवन नहीं जाएंगे।
हम जो घरों से एक बार बाहर निकले हैं तो अब वहां लौटकर नहीं जाएंगे।
"इंडियागेट और रायसीना हिल्स पर आज जमा हुई कितनी लड़कियां और लड़के भी इस बात की ठीक और साफ समझ रखते हैं कि -
1- लड़कियों के साथ होने वाली क्रूरता के अलावा क्रूरताएं और भी बहुत सारी हैं।
2- कि हम सब एक बहुत क्रूर समय में जी रहे हैं।
3- कि गरीबी किसी भी मनुष्य के साथ होने वाली सबसे भयानक क्रूरता है।
4- कि रात में शराब पीकर अपनी बीवी को पीटने वाला मजदूर खुद दिन भर सभ्य समाज की नृशंस क्रूरताओं का शिकार होता है
5- कि इस देश के मुसलमान बहुसंख्यक हिंदुओं की क्रूरता के निर्मम शिकार हैं
6- कि सैकडों सालों से दलित सवर्णों की भयंकरतम क्रूरताओं के शिकार हुए हैं
7- अश्वेत गोरों की क्रूरता का शिकार हैं
8- तीसरी दुनिया के देश अमीर देशों की बेशर्म क्रूरता के शिकार हैं
इन सारी क्रूरताओं के बारे में कोई बात क्यों नहीं करता।
लड़कियों ! ये सारी क्रूरताएं आपस में जुडी हुई हैं। सबसे आंख मूंदकर किसी एक क्रूरता के खिलाफ लडाई कभी नहीं जीती जा सकेगी।"
"इंडियागेट और रायसीना हिल्स पर आज जमा हुई कितनी लड़कियां एक अमीर, खूबसूरत यूएस सेल्टल्ड सॉफ्टवेअर इंजीनियर पति का सपना नहीं देखतीं ?
कितनों ने अपने माता-पिता द्वारा अपनी जाति, धर्म, समुदाय में ढूंढे गए दुबेजी - तिवारी जी- मिश्रा जी पति को कहा - ''ना'' ?
कितनों ने अपनी जिंदगी के सारे फैसले अपने हाथ में लिए हैं और मर्दवादी समाज से मिलने वाली सुविधाओं और सुरक्षा को कहा - ''ना'' ?
लड़कियों ! आजादी, बराबरी और जीने का हक अपनी सुविधा के हिसाब से नहीं मिलता। कीमत भी चुकानी होती है।"
2- कि उनमें और एक पारंपरिक स्त्री में कोई बहुत बुनियादी फर्क नहीं है।
वो इतने सालों से यही इमेज बिल्डिंग तो कर रही हैं। दोस्त, आसपास के लोग, पड़ोसी, ऑफिस के सहकर्मी, सब यही समझते हैं कि ये इंडीपेंडेंट लड़की बिंदास और अपनी शर्तों पर जीती है।
अगर उसने बता दिया कि शर्तें तो मर्द की ही हैं तो उसकी सारी इमेज एक मिनट में मिट्टी हो जाएगी। जीवन भर की कमाई है ये इमेज। ऐसे कैसे बर्बाद कर दें।
_________________________________________________________________________________
- घर के भीतर निहायत सामंती और कंटोलिंग है
- अधिकांश घरेलू काम अभी भी उसी के हिस्से में आते हैं
- साथ रहने के लिए अधिकांश समझौते उसे ही करने पड़ते हैं
- घर और साथ रहने की जिम्मेदारियों ने उसके मूवमेंट को सीमित कर दिया है, जबकि लड़का पहले की तरह छुट्टा घूमता है
फिर भी लड़कियां लड़के केा गेट आउट कहने का साहस नहीं कर पातीं। वो भी उतनी ही इनसिक्योर हैं, जितनी कि पारंपरिक परनिर्भर स्त्रियां।
और ये उत्तर भारतीय लड़कियों के साथ ज्यादा होता है। इनसिक्यारिटी और अकेलेपन का डर भयानक चीज है।"
________________________________________________________________________________
हिंदी बोलने और हिंदी में लिखने वाली उत्तर भारत की कोई एक लड़की बताइए, जिस पर ये सारी उपमाएं फिट बैठती हों।
उत्तर भारतीय और हिंदीभाषी समाज ज्यादा सामंती और कूढ़मगज है। यहां की लड़कियों की आजादी की लड़ाई ज्यादा कठिन होगी।
समझ रही हो न लड़कियों, तुम्हारा रास्ता ज्यादा कठिन है। तुम्हारा हाथ पकड़ने, तुम्हारे साथ चलने वाले लोग कम हैं। तुम्हारा सफर लंबा है। पीठ ठोंककर तैयारी कर लो।"
_________________________________________________________________________________
देश की सारी लडकियां ऐसे घरों में पैदा नहीं होतीं कि ...
- शहर के सबसे अच्छे कॉन्वेंट स्कूल में पढने जा सकें।
- कि पढाई के साथ-साथ बचपन से ही टेबल टेनिस, स्विमिंग और घुडसवारी जैसे शौक पूरे कर सकें।
- स्कूल के महंगे पिकनिक पर जा सकें।
- घर में इतनी सुविधा और आराम हो कि उन्हें एक गिलास भी हिलाना न पडे।
- कि शहर के एक पिछडे, मामूली गरीब सबर्ब में उसका घर हो। बहुत सी मामूली इंसानी आजादी सिर्फ इसलिए न मिल पाए कि आसपास का मुहल्ला अच्छा नहीं है।
- महंगे हायर एजूकेशन की गारंटी सिर्फ इसलिए न हो कि पिता की जेब ही उतनी नहीं है।
और अगर ऐसा है तो 99 फीसदी संभावना यही है कि 25 बरस की उम्र तक अपनी जाति के किसी लडके से तुम्हारा ब्याह हो जाएगा। आगे की जिंदगी के बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं।
और अगर ऐसा है तो एक बेहतर, आत्मनिर्भर, अच्छी शिक्षा, संभावनाओं और आजाद फैसलों से भरी जिंदगी का सपना तुम्हारी आंखों में नहीं होगा तो किसकी आंखों में होगा।
(जीके टू और वसंत विहार में पैदा होने पर थोडी इंडीपेंडेंस तो अपने आप सुरक्षित हो ही जाती है।)
_________________________________________________________________________________
लडकियों !- शहर के सबसे अच्छे कॉन्वेंट स्कूल में पढने जा सकें।
- कि पढाई के साथ-साथ बचपन से ही टेबल टेनिस, स्विमिंग और घुडसवारी जैसे शौक पूरे कर सकें।
- स्कूल के महंगे पिकनिक पर जा सकें।
- घर में इतनी सुविधा और आराम हो कि उन्हें एक गिलास भी हिलाना न पडे।
- कि शहर के एक पिछडे, मामूली गरीब सबर्ब में उसका घर हो। बहुत सी मामूली इंसानी आजादी सिर्फ इसलिए न मिल पाए कि आसपास का मुहल्ला अच्छा नहीं है।
- महंगे हायर एजूकेशन की गारंटी सिर्फ इसलिए न हो कि पिता की जेब ही उतनी नहीं है।
और अगर ऐसा है तो 99 फीसदी संभावना यही है कि 25 बरस की उम्र तक अपनी जाति के किसी लडके से तुम्हारा ब्याह हो जाएगा। आगे की जिंदगी के बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं।
और अगर ऐसा है तो एक बेहतर, आत्मनिर्भर, अच्छी शिक्षा, संभावनाओं और आजाद फैसलों से भरी जिंदगी का सपना तुम्हारी आंखों में नहीं होगा तो किसकी आंखों में होगा।
(जीके टू और वसंत विहार में पैदा होने पर थोडी इंडीपेंडेंस तो अपने आप सुरक्षित हो ही जाती है।)
_________________________________________________________________________________
इंडिया गेट से लौटने के बाद तुम्हारा अगला एक्शन प्लान क्या है ?
1- स्कूल में पढने वाली लडकियों के एग्जाम सिर पर हैं। क्या तुमने सबसे अच्छे नंबरों से पास होने, टॉप करने का लक्ष्य बनाया है ?
2- अपने पैरों पर खडे होने, अच्छी नौकरी पाने की तुम्हारी अगली योजना क्या है ?
3- पापा अपनी जाति में तुम्हारे लिए सुयोग्य वर ढूंढ रहे हैं। क्या तुम उन्हें ''ना'' कहने वाली हो ?
4- तुम्हारी जाति और धर्म से इतर जो तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड है, पापा उससे तुम्हारी शादी के सख्त खिलाफ हैं। क्या तुम अपने फैसले पर डटी रहने वाली हो ?
5- पापा भाई की इंजीनियरिंग की फीस और तुम्हारे दहेज के पैसे जोड रहे हैं। क्या सोचा है ? दहेज चाहिए या फीस ?
6- मामूली आय वाले पिता के पास एक ही बच्चे की इंजीनियरिंग की फीस भरने की औकात है। उन्होंने भाई को चुना है। तुम्हारा फैसला क्या है ?
7- तुम्हारे मां-पापा दोनों नौकरी करते हैं, लेकिन पापा घर के कामों में कभी मां का हाथ नहीं बंटाते। क्या पापा को भी जेंडर सेंसिटिव बनाने की जरूरत नहीं है। पापा से बहस करने वाली हो या नहीं ?
8- तुम्हारा अपनी मर्जी से चुना हुआ ब्वॉयफ्रेंड जेंडर सेंसिटिव नहीं है। वह तुम्हारे व्यक्तित्व को कुंद कर रहा है। क्या उसे अपनी जिंदगी से ''आउट'' कहने वाली हो ?
9- मोटा दहेज देकर और लेकर अपनी जाति में विवाह कहने वाले चाचा, मामा, ताया, बुआ आदि के लिए आज के बाद तुम्हारा जवाब क्या होगा ?
और अंत में -
इस बार कहां घूमने जाने का प्लान है ? क्यों न पांडिचेरी चला जाए। क्या ख्याल है ?
_________________________________________________________________________________
1- अपने घरों से बाहर निकलो ।
2- पब्लिक स्पेस पर कब्जा करो। यकीन करो, धरती की हर इंच जगह तुम्हारी है और तुम्हें कहीं भी जाने-होने-रहने-जीने से कोई रोक नहीं सकता।
3- जान लगाकर पढो, टॉप करो और अपना कॅरियर बनाओ। (करियर टॉप प्रिऑरिटी पर रखो।)
4- अपने पैसे कमाओ, अपना घर बनाओ। अपना कमरा और अपना स्पेस।
5- एक गाडी खरीदो, दो पहिया या चार पहिया, कुछ भी चलेगा। और उस पर सवार होकर पूरे शहर में घूमो, दूर दराज के शहरों में भी। चाहो तो पूरे देश भर में।
6- अपनी जिंदगी की जिम्मेदारी अपने हाथों में लो। अपने फैसले खुद करो।
7- अमीर पति का ख्वाब छोड दो। अमीर पति से मिलने वाली सुविधाओं के साथ गुलामी भी आती है। ये पैकेज डील है। सिर्फ एक चीज नहीं मिलेगी।
8- प्रेम करो, अपना सेक्चुअल पार्टनर खुद अपनी मर्जी से चुनो।
9- सजो-संवरो और सुंदर दिखो।
9- किताबें पढो और अच्छा सिनेमा देखो। (प्लीज लड़कियों, सलमान खान को देखकर आहें भरना बंद करो।)
10- अपने कमाए पैसे जमा करो और उस पैसों से पूरी दुनिया घूमो। सुंदरवन के जंगलों और कन्याकुमारी के समुद्र तट पर अकेले जाओ। मेरी यकीन करो, अगर हम समझदार, बुद्धिमान और आत्मविश्वास से भरे हैं तो हमारे साथ कुछ नहीं होगा। और यदि कुछ बुरा हो भी गया तो इसका ये मतलब नहीं कि अगली बार हम सुंदरवन नहीं जाएंगे।
हम जो घरों से एक बार बाहर निकले हैं तो अब वहां लौटकर नहीं जाएंगे।
________________________________________________________________________________
1- लड़कियों के साथ होने वाली क्रूरता के अलावा क्रूरताएं और भी बहुत सारी हैं।
2- कि हम सब एक बहुत क्रूर समय में जी रहे हैं।
3- कि गरीबी किसी भी मनुष्य के साथ होने वाली सबसे भयानक क्रूरता है।
4- कि रात में शराब पीकर अपनी बीवी को पीटने वाला मजदूर खुद दिन भर सभ्य समाज की नृशंस क्रूरताओं का शिकार होता है
5- कि इस देश के मुसलमान बहुसंख्यक हिंदुओं की क्रूरता के निर्मम शिकार हैं
6- कि सैकडों सालों से दलित सवर्णों की भयंकरतम क्रूरताओं के शिकार हुए हैं
7- अश्वेत गोरों की क्रूरता का शिकार हैं
8- तीसरी दुनिया के देश अमीर देशों की बेशर्म क्रूरता के शिकार हैं
इन सारी क्रूरताओं के बारे में कोई बात क्यों नहीं करता।
लड़कियों ! ये सारी क्रूरताएं आपस में जुडी हुई हैं। सबसे आंख मूंदकर किसी एक क्रूरता के खिलाफ लडाई कभी नहीं जीती जा सकेगी।"
_________________________________________________________________________________
कितनों ने अपने माता-पिता द्वारा अपनी जाति, धर्म, समुदाय में ढूंढे गए दुबेजी - तिवारी जी- मिश्रा जी पति को कहा - ''ना'' ?
कितनों ने अपनी जिंदगी के सारे फैसले अपने हाथ में लिए हैं और मर्दवादी समाज से मिलने वाली सुविधाओं और सुरक्षा को कहा - ''ना'' ?
लड़कियों ! आजादी, बराबरी और जीने का हक अपनी सुविधा के हिसाब से नहीं मिलता। कीमत भी चुकानी होती है।"
उस लड़के को पांच साल तक नहीं कह पाईं, ''आउट'', जिससे वो प्रेम करने लगी थीं.
ReplyDeleteबेहद प्रासंगिक विषय है...
कल 18/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
शुभ प्रभात
ReplyDeleteआपका आभार
काफी दिनों को बाद शेरनी दिखी
साधुवाद
सादर
बहुत खूब लिखा आपने मेरी सहमति एक एक शब्द के साथ है ....
ReplyDeleteमनीषा पाण्डेय की यह नुक्तेचिनी का संभवतम मात्रा में प्रसार करना चाहिए... इसे लाइक करने वालों --इसे फैलाओ - केवल लड़कियों के साथ नहीं, मूढ़मति लड़कों के बीच भी.
ReplyDeletebehatreen..
ReplyDeleteहरेक बात से सहमत ....
ReplyDeleteजीवन में 'सेटल' होने के लिये अक्सर ही लडकियाँ/महिलायें उन पुरुषों (कभी महिलाओं का भी) के बनाये अनुचित नियमों में बँधी रहती हैं जो उनके 'अपने' होते हैं
I fully agree and support you
ReplyDelete