Tuesday, January 22, 2013

नित्यानंद गायेन की कवितायें



नित्यानंद गायेन         

20 अगस्त 1981 को पश्चिम बंगाल के बारुइपुर , दक्षिण चौबीस परगना के शिखरबाली गांव में जन्मे नित्यानंद गायेन की कवितायेँ और लेख सर्वनाम, कृतिओर ,समयांतर , हंस, जनसत्ता, अविराम ,दुनिया इनदिनों ,अलाव,जिन्दा लोग, नई धारा , हिंदी मिलाप , स्वतंत्र वार्ता , छपते –छपते , समकालीन तीसरी दुनिया , अक्षर पर्व, हमारा प्रदेश , ‘संवदिया’ युवा कविता विशेषांक , कृषि जागरण आदि पत्र –पत्रिकाओं में प्रकशित .
इनका काव्य संग्रह ‘अपने हिस्से का प्रेम’ (२०११) में संकल्प प्रकाशन से प्रकशित .कविता केंद्रित पत्रिका ‘संकेत’ का नौवां अंक इनकी कवितायों पर केंद्रित .इनकी कुछ कविताओं का नेपाली, अंग्रेजी,मैथली तथा फ्रेंच भाषाओँ में अनुवाद भी हुआ है . फ़िलहाल हैदराबाद के एक निजी संस्थान में अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन. 


१.मैं भी पर्वत होना चाहती हूँ          




जारी है तुषारापात निरंतर

फिर हौसला न पस्त हुआ

पर्वत का

मैं भी पर्वत होना चाहती हूँ

हिम, बिजली और आंधियों से

लड़ते रहना है मुझे |






२. ताड़ का पेड़        

तालाब के किनारे

एक पेड़ है ताड़ का


जल दर्पण में दिखती है


परछाई ...


फैला कर अपने विशाल पत्तों को


वह करता है इजहार


अपनी खुशी का


क्यों दुखी है आइना देखकर


तमाम इंसान ?




३. साईकिल मरम्मत वाला     

साईकिल के हर पुर्जे से

वाकिफ़ है याकूब भाई


हथौड़ी, छैनी,पेचकस, ग्रीस


सब पहचानते हैं


उसके हाथों को


कभी नही करते नखरे


याकूब भाई


चेन कसता है


ग्रीस लगता है


मेरी बीमार साईकिल


स्वस्थ होकर शुक्रिया अदा करता है


साईकिल डाक्टर याकूब को ......||


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4- किन्तु फीका पड़ चुका है मेरा चेहरा ....


उन्होंने कहा

हम हैं भारतवासी

हमें गर्व है ..

मैंने कहा

मैं भी हूँ भारतवासी

और मुझे दुःख है देखकर

कुपोषण के शिकार बच्चों की तस्वीरें

सूखे शरीर ,चहरे पर झुर्रिओं के साथ

ज़हर के नीले रंग ढका हुआ

या फिर फंसी पर लटकता किसान 

होगा तुम्हें गर्व

पर मुझे खेद है

सीखनेखेलने की उम्र में

मजदूरी करता बचपन

मेरे देश में 

चमकता होगा

तुम्हारा राज्य
 ,
और देश

किन्तु फीका पड़ चुका है

मेरा चेहरा .....


5-

शिक्षक दिवस पर ..

हे गुरुवर




नित्यानंद गायेन
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7 comments:

  1. बहुत खुशी हुई . आभार स्वीकारें .

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  2. अच्छी कवितायें नित्यानन्द भाई की ।फर्गुदिया का आभार.....

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  3. नित्यानंद की कवितायें हमारे समय की तर्जुमानी करती हैं और उन्हें अपने समय का सजग कवि सिद्ध करती हैं...

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  4. नित्यानंद हमारे समय के बेहद सजग कवी हैं और छोटी छोटी डिटेल भी चूकते नही हैं...उनमे संभावनाएं हैं...

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    Replies
    1. शुक्रिया भैया , मेरा लेखन सार्थक हुआ .

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    2. शुक्रिया भैया , मेरा लेखन सार्थक हुआ .

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  5. नित्यानंद भाई की कवितायों में समय से मुखरता से बात करते रहने की निरंतरता का भाव झलकता है, जिनकी पलकें समय से आँख मिलाते हुए कभी नीची नहीं होती हैं. फर्गुदिया का आभार!

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