आशुतोष कुमार
हिंदी विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय
जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय पार्षद
इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में..
सहायक प्रोफ़ेसर रह चुकें हैं.
सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक ..
मुद्दों पर गहरी जानकारी रखतें हैं.
'मशाल' कार्यक्रम में आशुतोष कुमार जी ने अपने प्रभावशाली वक्तव्य में कहा कि हर स्त्री जो अपने अन्दर की ताकत पहचानकर खड़ी हो जाती है, वो स्त्री मुक्त है .स्त्री सिर्फ स्त्री के पक्ष में न खड़ी होकर समूची मनुष्यता के पक्ष में खड़ी होती है तभी बदलाव संभव है. उन्होंने सोनी सोरी पर लिखी अपनी एक मार्मिक कविता का भी पाठ किया .
राष्ट्र /देश
एक
निष्कवच स्त्री - देह पर
नुकीले पत्थरों से
एक वर्दीवाला गुंडा
अंकित
करता है
जिस की वीरगाथा
राष्ट्र
वह तुम्हारा है .
देह को हथियार में बदलतीं
स्त्रियाँ जहां लिखतीं हैं
अपने रक्त से
सच की बारहखड़ी
स से सोनी सोरी
च से चानू इरोम शर्मिला
देश
वह
हमारा है.
दूसरे दिन फेसबुक पर उन्होंने 'मशाल' कार्यक्रम के पक्ष में महिला अपराध में संलिप्त हमलावरों को आगाह करते हुए पूरे स्त्री समाज की तरफ से उन्हें कुछ इस तरह चेतावनी दी _______
"फरगुदिया तेजस्वी लेखिकाओं का फेसबुक समूह है .आज इस समूह ने एक तारीखी पहल ली. इंडिया गेट पर स्त्री उत्पीडन के विरुद्ध प्रतिवाद गोष्ठी. चर्चा हुई , कवितायेँ पढ़ी गयीं , संकल्प लिए गए .प्रतिरोध की यह छोटी सी घटना एक बड़ा सन्देश है . हमलावरों,, सम्हल जाओ कि अब हम खुद खुले में आ रहीं हैं . घिरे अँधेरे में हमला करना और बच निकलना आसान होता है . उत्पीडित का निर्भय खुले में आ जाना ही हमलावर के भयभीत हो कर अँधेरे में छुप जाने के लिए काफी है."
आशुतोष जी के वक्तव्य का विडियो लिंक नीचे है
http://www.youtube.com/watch?v=xKfB9ndu5N0
हिंदी विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय
जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय पार्षद
इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में..
सहायक प्रोफ़ेसर रह चुकें हैं.
सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक ..
मुद्दों पर गहरी जानकारी रखतें हैं.
'मशाल' कार्यक्रम में आशुतोष कुमार जी ने अपने प्रभावशाली वक्तव्य में कहा कि हर स्त्री जो अपने अन्दर की ताकत पहचानकर खड़ी हो जाती है, वो स्त्री मुक्त है .स्त्री सिर्फ स्त्री के पक्ष में न खड़ी होकर समूची मनुष्यता के पक्ष में खड़ी होती है तभी बदलाव संभव है. उन्होंने सोनी सोरी पर लिखी अपनी एक मार्मिक कविता का भी पाठ किया .
राष्ट्र /देश
एक
निष्कवच स्त्री - देह पर
नुकीले पत्थरों से
एक वर्दीवाला गुंडा
अंकित
करता है
जिस की वीरगाथा
राष्ट्र
वह तुम्हारा है .
देह को हथियार में बदलतीं
स्त्रियाँ जहां लिखतीं हैं
अपने रक्त से
सच की बारहखड़ी
स से सोनी सोरी
च से चानू इरोम शर्मिला
देश
वह
हमारा है.
दूसरे दिन फेसबुक पर उन्होंने 'मशाल' कार्यक्रम के पक्ष में महिला अपराध में संलिप्त हमलावरों को आगाह करते हुए पूरे स्त्री समाज की तरफ से उन्हें कुछ इस तरह चेतावनी दी _______
"फरगुदिया तेजस्वी लेखिकाओं का फेसबुक समूह है .आज इस समूह ने एक तारीखी पहल ली. इंडिया गेट पर स्त्री उत्पीडन के विरुद्ध प्रतिवाद गोष्ठी. चर्चा हुई , कवितायेँ पढ़ी गयीं , संकल्प लिए गए .प्रतिरोध की यह छोटी सी घटना एक बड़ा सन्देश है . हमलावरों,, सम्हल जाओ कि अब हम खुद खुले में आ रहीं हैं . घिरे अँधेरे में हमला करना और बच निकलना आसान होता है . उत्पीडित का निर्भय खुले में आ जाना ही हमलावर के भयभीत हो कर अँधेरे में छुप जाने के लिए काफी है."
आशुतोष जी के वक्तव्य का विडियो लिंक नीचे है
http://www.youtube.com/watch?v=xKfB9ndu5N0
राष्ट्र राज्य और देशी देस के बीच के नज़रिए को एक स्त्री के होने से देखती कविता. आशुतोष जी इतनी सधी हुई कविता लिखते हैं तो और क्यों नहीं लिखते.
ReplyDeleteआदरणीय आशुतोष जी, की रचना बेहद प्रभावशाली है ....मन-मष्तिष्क को झंक्झोरती हुई .....
ReplyDeleteसादर
आंदोलित करती हुई कविता .....
ReplyDeleteसादर