अंजू शर्मा
कवयित्री, लेखिका, ब्लॉगर
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ और लेख प्रकाशित होतें रहतें हैं
कविता पाठ के आयोजन में बतौर कवि और आयोजक सक्रिय भूमिका
अंजू की अधिकतर कविताएँ ही अपने आप में एक सम्पूर्ण स्त्री विमर्श है , 'मशाल' कार्यक्रम में उन्होंने अपनी एक प्रभावशाली कविता "पब से निकली लड़की" का पाठ किया ..
पब से निकली लड़की
पब से निकली लड़की
नहीं होती है किसी की माँ, बेटी या बहन,
पब से निकली लड़की का चरित्र
मोहताज हुआ करता है घडी की तेजी से
चलती सुइयों का,
जो अपने हर कदम पर कर देती हैं उसे कुछ और काला,
पब से निकली लड़की के पीछे छूटी
लक्ष्मणरेखाएं हांट करती हैं उसे जीवनपर्यंत,
जिनका लांघना उतनी ही मायने रखता है जितना कि
उसे नैतिकता का सबक सिखाया जाना,
पब से निकली लड़की अभिशप्त होती है एक सनसनी में
बदल जाने के लिए,
उसके लिए गुमनामी की उम्र उतनी ही होती है
जितनी देर का साथ होता है
उसके पुरुष मित्रों का,
पब की लड़की के कपड़ों का चिंदियों में बदल जाना
उतना ही स्वाभाविक है कुछ लोगों के लिए,
जैसे समय के साथ वे चिन्दियाँ बदल जाती हैं
'तभी तो', 'इसीलिए' और 'होना ही था' की प्रतिक्रियाओं में,
पब से निकली लड़की के,
ताक पर रखते ही अपना लड़कीपना,
सदैव प्रस्तुत होते हैं 'कचरे' को बुहारते 'समाजसेवी'
कचरे के साथ बुहारते हुए
उसकी सारी मासूमियत अक्सर
वे बदल जाते हैं सिर्फ आँख और हाथों में,
पब से निकली लड़की की आवाजें,
हमेशा दब जाती हैं
अनायास ही मिले
चरित्र के प्रमाणपत्रों के ढेर में,
पब से निकली लड़की के ब्लर किये चेहरे पर
आज छपा है एक प्रश्न
कि उसका ३० मिनट की फिल्म में बदलना
क्या जरूरी है समाज को जगाने के लिए,
वह पूछती है सूनी आँखों से
क्या जरूरी है ....उसके साथ हुए इस व्याभिचार का सनसनी में बदलना
या जरूरी है कैमरा थामे उन हाथों का एक सहारे में बदलना.........
कवयित्री, लेखिका, ब्लॉगर
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ और लेख प्रकाशित होतें रहतें हैं
कविता पाठ के आयोजन में बतौर कवि और आयोजक सक्रिय भूमिका
अंजू की अधिकतर कविताएँ ही अपने आप में एक सम्पूर्ण स्त्री विमर्श है , 'मशाल' कार्यक्रम में उन्होंने अपनी एक प्रभावशाली कविता "पब से निकली लड़की" का पाठ किया ..
पब से निकली लड़की
पब से निकली लड़की
नहीं होती है किसी की माँ, बेटी या बहन,
पब से निकली लड़की का चरित्र
मोहताज हुआ करता है घडी की तेजी से
चलती सुइयों का,
जो अपने हर कदम पर कर देती हैं उसे कुछ और काला,
पब से निकली लड़की के पीछे छूटी
लक्ष्मणरेखाएं हांट करती हैं उसे जीवनपर्यंत,
जिनका लांघना उतनी ही मायने रखता है जितना कि
उसे नैतिकता का सबक सिखाया जाना,
पब से निकली लड़की अभिशप्त होती है एक सनसनी में
बदल जाने के लिए,
उसके लिए गुमनामी की उम्र उतनी ही होती है
जितनी देर का साथ होता है
उसके पुरुष मित्रों का,
पब की लड़की के कपड़ों का चिंदियों में बदल जाना
उतना ही स्वाभाविक है कुछ लोगों के लिए,
जैसे समय के साथ वे चिन्दियाँ बदल जाती हैं
'तभी तो', 'इसीलिए' और 'होना ही था' की प्रतिक्रियाओं में,
पब से निकली लड़की के,
ताक पर रखते ही अपना लड़कीपना,
सदैव प्रस्तुत होते हैं 'कचरे' को बुहारते 'समाजसेवी'
कचरे के साथ बुहारते हुए
उसकी सारी मासूमियत अक्सर
वे बदल जाते हैं सिर्फ आँख और हाथों में,
पब से निकली लड़की की आवाजें,
हमेशा दब जाती हैं
अनायास ही मिले
चरित्र के प्रमाणपत्रों के ढेर में,
पब से निकली लड़की के ब्लर किये चेहरे पर
आज छपा है एक प्रश्न
कि उसका ३० मिनट की फिल्म में बदलना
क्या जरूरी है समाज को जगाने के लिए,
वह पूछती है सूनी आँखों से
क्या जरूरी है ....उसके साथ हुए इस व्याभिचार का सनसनी में बदलना
या जरूरी है कैमरा थामे उन हाथों का एक सहारे में बदलना.........
पब से निकली लड़की की आवाजें,
ReplyDeleteहमेशा दब जाती हैं
अनायास ही मिले
चरित्र के प्रमाणपत्रों के ढेर में...
बेहद मर्मस्पर्शी रचना ....
वह पूछती है सूनी आँखों से
ReplyDeleteक्या जरूरी है ....उसके साथ हुए इस व्याभिचार का सनसनी में बदलना
या जरूरी है कैमरा थामे उन हाथों का एक सहारे में बदलना.........
एक प्रश्न करती रचना बेहद मार्मिक है
कल 06/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत सुन्दर...सोचने पर मजबूर करती एक मार्मिक रचना ...!!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeletebahut khoobsurati se ek vyatha ko uajagar karti rachna.
ReplyDeleteबहुत सशक्त रचना .... अंजु जी के ब्लॉग पर पहले पढ़ी है ॥ आभार
ReplyDeleteaap sabhi ka tahedil se shukriya....shukriya shobha di, yashwant.....
ReplyDeletebahut sundar rachna anju je.....
ReplyDeleteआपकी सक्रियता बहुत कमाल की है।
ReplyDeleteजो लोग कहते हैं अपने रिशतेदारों से भी की समय कहां है आजकल मिलने का,,,,उनके मुंह पर आपकी सक्रियता एक तमाचा है।।