Tuesday, December 11, 2012

फर्गुदिया समूह द्वारा आयोजित काव्य-पाठ 'अनुगूँज' की रिपोर्ट


अंजू शर्मा
कवयित्री, लेखिका, ब्लॉगर
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ और लेख प्रकाशित होतें रहतें हैं
अभी हाल ही में बोधि प्रकाशन, जयपुर द्वारा प्रकाशित स्त्री-विषयक काव्य-संग्रह "औरत होकर भी सवाल करती है" में भी कवितायेँ प्रकाशित हुई हैं
वर्तमान में 'अकादमी ऑफ़ फाईन आर्ट्स एंड लिटरेचर' (सार्क लेखकों की एक संस्था) के कार्यक्रम 'डायलोग (हिंदी कविता)'
और संस्था 'लिखावट' के कार्यक्रम 'कैम्पस में कविता' और 'कविता-पाठ' से सक्रिय रूप से बतौर कवि, रिपोर्टर और आयोजक जुडाव रहा है.



8 दिसम्बर 2012, शनिवार को टेक्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ अप्लाईड साइंस, पीतमपूरा, दिल्ली में फर्गुदिया समूह द्वारा एक काव्य-पाठ का आयोजन किया गया। इसे 'अनुगूँज' का सुंदर नाम दिया गया। कार्यक्रम का सञ्चालन किया फर्गुदिया समूह की संचालिका सुश्री शोभा मिश्रा ने और सईद अयूब इस कार्यक्रम के संयोजक की भूमिका में थे। उल्लेखनीय है कि फर्गुदिया समूह जो मुख्यतः महिलाओं के एक ऑनलाइन समूह से प्रारंभ हुआ था, संचालिका शोभा जी के सतत प्रयासों से आगे बढ़कर आज समाजसेवा और साहित्य के क्षेत्र में निरंतर अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयासरत है! इससे पहले भी समय समय पर इस समूह द्वारा कई आयोजन किये जाते रहे हैं।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की थी वरिष्ठ कवि असद जैदी जी ने और इसमें वरिष्ठ कवयित्री डॉ अनामिका, मुकेश मानस, वंदना ग्रोवर, अंजू शर्मा, सुनीता कविता और आनंद कुमार शुक्ल ने अपनी कविताओं का पाठ किया! शोभा मिश्रा ने सभी का परिचय कराया, फर्गुदिया समूह से जुड़े साथियों द्वारा सभी कवियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया! संचालिका शोभा मिश्रा ने फर्गुदिया के पिछले कार्यक्रमों और उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम का प्रारंभ किया! युवा कवि आनंद कुमार शुक्ल ने कुछ सुंदर कविताओं का पाठ कर युवा पीढ़ी की सशक्त उपस्थिति को दर्ज करवाया! डॉ सुनीता कविता ने अपनी स्त्री-विषयक कविताओं का पाठ किया जिनमें से एक बेहद मार्मिक कविता फर्गुदिया को समर्पित थी! एक अन्य कविता में उन्होंने स्त्री के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत कर समाज के विभिन्न वर्ग और मानसिकता का सुंदर चित्रण किया!


मैंने यानि अंजू शर्मा ने अपनी कुछ नयी-पुरानी कवितायेँ साझा की! मैंने 'जूते' विषय पर दो लघु कवितायेँ, एक स्त्री-विषयक कविता और एक नयी कविता सुनाई! मेरे लिए वह यादगार क्षण था जब साथ बैठी अनामिका दी ने मंच पर दो बार मुझे बाँहों में भर कर प्रोत्साहित किया! वंदना ग्रोवर ने अपनी हिंदी और पंजाबी की कविताओं का पाठ किया! गहन संवेदनाओं में डूबी कवितायेँ दिल छू लेने वाली रही साथ ही पंजाबी कविता ने सभी के चेहरों पर मुस्कान ला दी और हाल ठहाकों से गूंज उठा। कवि मुकेश मानस ने अलग अलग विषयों पर कई कवितायेँ सुनाई! बेहद ख़ूबसूरती से सरल शब्दों के माध्यम से उन्होंने भावों का सुंदर ताना बाना रचा, उनकी अंतिम कविता जो मोबाइल फ़ोन पर आधारित थी बेहद पसंद आई।


कलम की धनी अनामिका जी ने अपनी कुछ ताज़ा कवितायेँ सुनाई! एक लम्बी कविता में उन्होंने फर्गुदिया को पिता के समक्ष एक नन्ही माँ के रूप में प्रस्तुत किया! एक अन्य कविता में उन्होंने कुछ मिथकीय प्रयोग करते हुए एक स्त्री की अभिव्यक्ति को साकार किया! कविताओं में ठेठ देसज शब्द, सुंदर बिम्ब और भावों की सघन बुनावट अनामिका जी की पहचान है, यहाँ भी वे ऐसी ही कविताओं के साथ सबका दिल जीतने में सफल रहीं! अध्यक्ष असद ज़ैदी जी ने भी अपनी दो कवितायेँ सभी से साझा की! यहाँ सुखद लग रहा है यह कहना कि अपनी एक कविता में उन्होंने एक ऐसी स्त्री के मार्मिक पक्ष को बखूबी रखा जो अपने जीवन-साथी को अरसा पहले खो चुकी है किन्तु आज भी वो उसके जीवन में यादों के माध्यम से विद्यमान है! यकीनन यह एक साथ जाने वाली कविता रही!


अपने अध्यक्षीय व्यक्तव्य में असद जी ने सुनाई गयी विभिन्न विषयों की कविताओं पर अपने विचार रखते हुए संतोष जताया कि आज स्त्रियाँ कविता के माध्यम से बखूबी अपनी बात रख रही है जबकि इससे पहले ये काम पुरुष कवियों के जिम्मे था! उन्होंने कहा कि वे इस कार्यक्रम में पढ़ी गयी कविताओं को सुनकर बेहद ख़ुशी का अनुभव कर रहे हैं, आज स्त्रियाँ न केवल स्त्री-विमर्श बल्कि उससे आगे बढ़कर देश, दुनिया से जुड़े लगभग हर विषय पर अपनी बात रख रही हैं! उन्होंने युवा पीढ़ी की रचनाशीलता पर भी आश्वस्ति जताई, साथ ही, फर्गुदिया और शोभा मिश्रा जी के प्रयासों की भी भूरी भूरी प्रशंसा की! लेखक, कवि तथा कार्यक्रम के संयोजक सईद अयूब जी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम की सफलता पर प्रसन्नता जाहिर की!


संयोजक सईद अयूब और युवा साथी सुशील कृष्णेत की सक्रियता काबिले-तारीफ है जिन्होंने इस कार्यक्रम में अपना सक्रिय योगदान दिया! यकीनन शोभा जी के सहज और सुंदर सञ्चालन, आत्मीय वातावरण में खूबसूरत सार्थक कविताओं के पाठ और इस कार्यक्रम में वरिष्ठ कवयित्री सुमन केशरी जी की उल्लेखनीय उपस्थिति के साथ ही एक्टिविस्ट डॉ आशुतोष कुमार, रूपा सिंह, आनंद द्विवेदी, सीमान्त सोहल, राजीव तनेजा, संजू तनेजा, इंदु सिंह, वंदना गुप्ता, निशा कुलश्रेष्ठ, धीरज कुमार, आनंद द्विवेदी, बलजीत कुमार, शम्भू यादव, अखिलेश, राजलक्ष्मी त्रिपाठी, ज्योति त्रिपाठी, सबके आकर्षण का केंद्र नन्हा अरिहंत, ब्रिज प्रूथी, अकबर रिजवी, रविन्द्र के दास, सरिता दास, इरशाद नैय्यर, देवेश त्रिपाठी, फैजान मुकीम आदि की जीवंत उपस्थति ने इसे एक यादगार शाम में बदल दिया!

1 comments:

  1. बहुत बढ़िया रिपोर्टिंग है..अंजू जी अपनी कविताओं के अलावा अपनी बढ़िया रिपोर्टिंग के लिए भी जानी जाती हैं..सारे उपस्थित कवियों का बेहतरीन परिचय एवं उनके द्वारा पाठ की कविताओं के बारे में अच्छी जानकारी दी..शोभा जी का संचालन और उपस्थित सभी मान्य लोगों को इस बेहतरीन काव्य पाठ के आयोजन 'अनुगूंज' में शामिल होने के लिए बहुत बहुत बधाई....

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