कल का कार्यक्रम कुछ विशेष था. 'फरागुदिया के नाम-एक शाम' कहने के लिए 'फरगुदिया' के नाम पर एक कविता पाठ का कार्यक्रम था. लेकिन कविताओं के अलावा वहाँ बहुत कुछ और भी था जिसने उपस्थित श्रोताओं के मन को छुआ. सबसे पहले दीप-प्रज्वलन एक ऐसी महिला से जिनका ज़िक्र हाशिए में भी नहीं होता. घरों में काम-काज कर अपने सात बच्चों के परिवार का पालन-पोषण और अपनी बच्चियों को अच्छी शिक्षा देने का सपना रखने वाली विधवा अनारा देवी ने कार्यक्रम अध्यक्षा सविता सिंह जी और मुख्य अतिथि सुमन केशरी जी के साथ दीप प्रज्वलन किया...कैसर जैसी घातक बीमारी को अपनी जिजीविषा से परास्त कर बहुत सारे लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनीं मंजु दीक्षित जी का सम्मान.
वरिष्ठ कवयित्रियों सविता सिंह, सुमन केशरी, स्नेह सुधा नवल के साथ साथ लीना मलहोत्रा विपिन चौधरी, सोनरूपा विशाल, रश्मि भारद्वाज, निरुपमा सिंह, स्वाती ठाकुर की सुंदर, प्रेरणादायक कविताएँ... अंजू शर्मा ने गला खराब होने के कारण कविता पाठ नहीं किया. शुरुआत में मंच संचालिका रश्मि भारद्वाज के आग्रह पर फरगुदिया के बारे में बताते हुए और आगंतुकों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम आयोजक शोभा मिश्रा जी ने भी अपनी एक कविता का पाठ किया.
और प्रोफ. हरीश नवल और वरिष्ठ कवि व आलोचक नंद भारद्वाज जी के प्रेरणादायी वक्तव्य. कार्यक्रम में प्रोफ़. पुरुषोत्तम अग्रवाल जैसे व्यक्तित्व की स्नेहिल, गरिमामय और प्रेरणादायी उपस्थिति...
श्रोताओं में मुकेश मानस, रवीन्द्र के दास, स्वतंत्र मिश्र, भरत तिवारी, सुबोध कुमार, रूपा सिंह, स्नेहा देसाई, धीरज कुमार, रोहित कुमार, नरेंद्र कुमार भारती, भास्कर ठाकुर आदि कवि-साहित्यकार मित्रों की उपस्थिति....
और कार्यक्रम आयोजक शोभा मिश्रा और उनके पति संजय मिश्रा जी का स्नेहिल, प्रेम में भीगा हुआ आतिथ्य और सुंदर आयोजन....
और अंत में इस कार्यक्रम को हर वर्ष करवाने, फरगुदिया के नाम पर ग्यारह हज़ार रूपये के एक पुरुस्कार की घोषणा और एक आपसी सहमति (जिसकी घोषणा कार्यक्रम में नहीं की गयी) कि हर वर्ष फरगुदिया की माँ को कुछ (कम से कम पाँच हज़ार रूपये) आर्थिक सहायता और यदि संभव हुआ तो कुछ गरीब, बेसहारा बच्चियों की पढ़ाई में यथासंभव मदद (आर्थिक या किसी और प्रकार की)...
'फरगुदिया के नाम-एक शाम' कार्यक्रम कुछ विशेष तो था ही.
अगले कार्यक्रम में आप सबसे इस मुहिम में जुड़ने और सहयोग करने की अपील.
वरिष्ठ कवयित्रियों सविता सिंह, सुमन केशरी, स्नेह सुधा नवल के साथ साथ लीना मलहोत्रा विपिन चौधरी, सोनरूपा विशाल, रश्मि भारद्वाज, निरुपमा सिंह, स्वाती ठाकुर की सुंदर, प्रेरणादायक कविताएँ... अंजू शर्मा ने गला खराब होने के कारण कविता पाठ नहीं किया. शुरुआत में मंच संचालिका रश्मि भारद्वाज के आग्रह पर फरगुदिया के बारे में बताते हुए और आगंतुकों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम आयोजक शोभा मिश्रा जी ने भी अपनी एक कविता का पाठ किया.
और प्रोफ. हरीश नवल और वरिष्ठ कवि व आलोचक नंद भारद्वाज जी के प्रेरणादायी वक्तव्य. कार्यक्रम में प्रोफ़. पुरुषोत्तम अग्रवाल जैसे व्यक्तित्व की स्नेहिल, गरिमामय और प्रेरणादायी उपस्थिति...
श्रोताओं में मुकेश मानस, रवीन्द्र के दास, स्वतंत्र मिश्र, भरत तिवारी, सुबोध कुमार, रूपा सिंह, स्नेहा देसाई, धीरज कुमार, रोहित कुमार, नरेंद्र कुमार भारती, भास्कर ठाकुर आदि कवि-साहित्यकार मित्रों की उपस्थिति....
और कार्यक्रम आयोजक शोभा मिश्रा और उनके पति संजय मिश्रा जी का स्नेहिल, प्रेम में भीगा हुआ आतिथ्य और सुंदर आयोजन....
और अंत में इस कार्यक्रम को हर वर्ष करवाने, फरगुदिया के नाम पर ग्यारह हज़ार रूपये के एक पुरुस्कार की घोषणा और एक आपसी सहमति (जिसकी घोषणा कार्यक्रम में नहीं की गयी) कि हर वर्ष फरगुदिया की माँ को कुछ (कम से कम पाँच हज़ार रूपये) आर्थिक सहायता और यदि संभव हुआ तो कुछ गरीब, बेसहारा बच्चियों की पढ़ाई में यथासंभव मदद (आर्थिक या किसी और प्रकार की)...
'फरगुदिया के नाम-एक शाम' कार्यक्रम कुछ विशेष तो था ही.
अगले कार्यक्रम में आप सबसे इस मुहिम में जुड़ने और सहयोग करने की अपील.
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