Thursday, May 31, 2012

पुरुषोत्तम अग्रवाल जी की रिपोर्ट


एक शाम फरगुदिया के नाम कार्यक्रम के शुभारंभ का दीप-प्रज्वलन अनारा देवी के साथ सविता सिंह, सुमन केशरी और शोभा मिश्र ने किया।अनारा देवी का जीवन-संघर्ष अपने आप में कविता है।
कार्यक्रम में कैंसर को परास्त करने वाली जिजीविषा-सुश्री मंजु दीक्षित- का सम्मान किया जाना खासकर मन को छू गया। — with Suman Keshari Agrawal and Shobha Mishra.
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    • Rakesh Sinha यही युग धर्म है और साहित्य का रचनात्मक पक्ष भी
      May 27 at 3:19pm ·  ·  4

    • Sayeed Ayub शुक्रिया सर इसे शेयर करने के लिए. अनारा देवी एक गरीब विधवा हैं और घरों में काम-काज कर अपने सात बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं. सबसे बड़ी बात कि उन्होंने अपनी बच्चियों की पढ़ाई में कोई कोर-कसर नहीं उठा रखा है. वे शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह से समझती हैं.
      Monday at 4:25am ·  ·  5

    • Sayeed Ayub मंजु दीक्षित जी अपने आप में एक मिसाल हैं. कैंसर जैसी घातक बीमारी को अपनी जिजीविषा से परास्त कर पूरी उर्जा के साथ न केवल अपनी ज़िंदगी जी रही हैं बल्कि दूसरों को भी प्रेरणा दे रही हैं.
      Monday at 4:28am ·  ·  4

    • Leena Malhotra कार्यक्रम में दीप प्रज्वलन अनारा देवी द्वारा करना मुझे बहुत अच्छा लगा.. ऐसे मेहनतकश लोग अपनी जिंदगी में संघर्षों की कलम से कवितायेँ लिख रहे हैं उन्हें सम्मान देना बहुत ज़रूरी है
      Monday at 4:40am ·  ·  3

    • Sayeed Ayub बिलकुल सही कहा आपने Leena ji!
      Monday at 4:53am ·  ·  1

    • Shobha Mishra सर , फोटो में कैद इस अद्भुत क्षण को शेयर करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!! एक दुर्घटना में हुई पति की मृत्यु के बाद अशिक्षित और बेसहारा अनारा देवी का अकेले इतने बड़े परिवार को संभालना और अपने बच्चों को शिक्षित करना इतना आसान काम नहीं था ..लेकिन उनकी लगन और हिम्मत को सलाम करतीं हूँ ... वो चारदीवारी से बाहर निकली और दिन रात कठिन परिश्रम करके बिना विचलित हुए अपने परिवार का भरण पोषण कर रहीं हैं |
      Monday at 5:40am ·  ·  6

    • Suman Keshari Agrawal कार्यक्रम सच में बड़ा सार्थक था...बहुत कुछ सोचने के लिए बाध्य करने वाला...
      Monday at 6:29am ·  ·  9

    • Chandrakanta Ck एक बेहद सार्थक आयोजन 'फरगुदिया'..
      समाज के घृणित बंधों को तिनका तिनका उधेड़ती कवियित्रियाँ,मन को बींध कर रख देने वाली उनकी रचनाएं और शोभा दी व सईद सर का यह साहसी प्रयास निश्चय ही एक ईमानदार कोशिश का संकेत था.स्वाति की कलम आत्मविश्वास से लबरेज थीं और विपिन की ‘रजस्वला’ पर अभिव्यक्ति नें मन को छू लिया.शायक की रचना हमेशा की तरह बंद दरवाजों पर दस्तक देती सी .सुमन जी की चिर-परिचित सहजता और स्त्री मन को एक खास लहजे में टांकना हर बार आकर्षित करता है..
      स्त्री सम्वेदना को मंच पर एकजुट देखकर उस टूटे हुए मन को कहीं गहरी सांत्वना और साहस मिला जिसे जब-तब-अक्सर समाज के एकतरफा नियमों/रिवाजों के समक्ष आहूत कर दिया गया अंत में,एक बात जो अभी स्त्रियों को सीखनी है वह खुद को देह-जड़ता की परीधि से बाहर ले आना ..

      Tuesday at 12:11pm ·  ·  2

    • Shobha Mishra ‎(एक बात जो अभी स्त्रियों को सीखनी है वह खुद को देह-जड़ता की परीधि से बाहर ले आना ..) aapke is kathan se 100% sahmat hoon ..! shukriya Chandrakanta !!

    • Shobha Mishra Shukriya Suman Di !!!

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