Wednesday, July 24, 2013

रितु की डायरी


लखनऊ के मलीहाबाद के एक गाँव से आई अट्ठारह वर्षीय रितु दिल्ली में ‘डोमेस्टिक हेल्प’ का काम करती है.आठवीं तक गाँव की एक स्थानीय पाठशाला में पढ़ी रितु की एक बात जो आप सबका मन मोह लेगी वह है उसकी हंसी ..हमेशा हंसती-मुस्कराती रहती है.उसनें बताया की वह अंग्रेजी स्कूल में पढना चाहती थी जहाँ उसके चाचा के बच्चे पढ़े थे क्यूंकि सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती और वहां पढने वालों के लिए कोई करिअर नहीं होता. सामान्य अनुभव के विपरीत वह एक चौंकाने वाली जानकारी देती है और बताती है की उनके गाँव में लड़कियों की शादी छोटी उम्र में नहीं की जाती ..तेइस-चौबीस के आसपास होती है.यह जानना बेहद सुखद रहा.

रितु को भी एक डायरी दी गयी जिसमें वह मनचाही बातें लिख सके.रितु नें बचपन में स्कूल में पढ़ी कुछ कहानियां भी अपनी डायरी में लिखीं और अपनें कुछ भक्ति गीत भी. हमें खुद अपनें बचपन की कुछ कहानी कविताएँ स्मृत हो आयीं ‘तितली उडी बस में चढ़ी’, ‘आओ बच्चो तुम्हें दिखाएँ झांकी हिंदुस्तान की’,  अपनी डायरी में कुछ चित्रकारी भी की हुई थी कहीं कमल का फूल बनाया था तो कहीं गुलाब के फूल पर मंडराती तितली.उन्हें कबीर के बहोत से दोहे भी याद हैं जो उन्होंने अपनी डायरी में अपनी आपबीती के बीच बीच में लिखे हैं.उनके लेखन में देसज शब्दों की अधिकता है इसलिए सहजता बोध की दृष्टि से यहाँ उन अंशों को मानक हिंदी में लिखा गया है .इन्हें रितु लिखती हैं -  

‘मुझे गाना गाना बहोत पसंद है मुझे फ़िल्मी गानों को भक्ति गानों में बनाना बहोत अच्छा लगता है .‘२६ जनवरी को हमारे स्कूल में गान होता था ..फिर आरती होती थी जिसमें मैं गीत गाती थी.मैं बहोत खुश होती थी.’

‘मुझे खाने में कटहल और मम्मी की बनाई दही बड़ी अच्छी लगती है मम्मी बहोत प्यार से बनाती है और उतने ही प्यार से खिलाती भी है .जब भी मैं घर जाती हूँ सबसे पहले अपनी बहन के ससुराल  जाती हूँ ..उसके लिए पासन की चाट पकौड़ी लेकर जाती हूँ वह बहोत खुश होती है .’

‘आज मैं सुबह से काम कर रही हूँ शाम के चार बजे आधे घंटे का टाइम मिला जिसमें मैं सो गयी फिर उठी तो आंटी नें साग काटने को कहा मैंने काट दिया...मुझसे थोड़ी देर हो गयी तो आंटी नें मुझे इतना डांटा की मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाई और रो पड़ी.बाद में आंटी नें मुझसे बहोत प्यार से बात की ..समझाया ..आंटी मन से अच्छी हैं ..’

‘मुझे गुलाब का फूल पसंद है..मुझे बालू में खेलना पसंद है ..और पानी में खेलना पसंद है ..मुझे लिखना पसंद है और बच्चों के साथ खेलना पसंद है.
‘आज मेरे मन में घर जाने के लिए खुमारी छाई है .मैं खुश हूँ ..जब भी घर जाती हूँ मेहँदी लगा कर जाती हूँ ..सुबह आंटी नें मुझे कुछ काम करने के लिए कहा मैंने मन कर दिया क्यूंकि मेरी मेहँदी खराब हो जाती.’  
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रितु फ़िल्मी गीतों को भक्ति गीतों में बदलना बखूबी जानती है एक गीत यहाँ पोस्ट करने की बहोत इच्छा थी ताकि आप सभी मित्र भी उनके इस हुनर से परिचित हो सकें लेकिन रितु पिछले एक महीने से अपने गाँव में हैं उनके लेख को समझ पाना बेहद मुश्किल रहा और उसमें स्थानीय बोली के शब्द भी घुले-मिले हैं जिन्हें समझ पाना हमारी सीमा रही.  

1 comments:

  1. Kaash main is ladki ko school bejh paata, Bachon ke saath khelte dekh paata.Kaash main is ko kathal ki sabzi aur dahi khila paata. Itne chote se sapne sabzi ke saath kyoon kat jaate hain? Kab tak yeh sab......?

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