Tuesday, July 30, 2013

समाधियाँ बोलती हैं कही ? प्रतिभा गोटीवाले

प्रतिभा  गोटीवाले  --------------------- 1-माँ की वेदना  शर्मिंदा हूँ मैंअपने आप सेके छीन लिया हैं मैंने उससेबचपन उसकाभेजती नहीं हूँ अब उसेखेलने के लियेन पहनने देती हूँ फ्राकबाल भी कटवा दिये हैं उसकेलड़को जैसे और...

Wednesday, July 24, 2013

रितु की डायरी

लखनऊ के मलीहाबाद के एक गाँव से आई अट्ठारह वर्षीय रितु दिल्ली में ‘डोमेस्टिक हेल्प’ का काम करती है.आठवीं तक गाँव की एक स्थानीय पाठशाला में पढ़ी रितु की एक बात जो आप सबका मन मोह लेगी वह है उसकी हंसी ..हमेशा हंसती-मुस्कराती रहती है.उसनें बताया की वह...

Saturday, July 20, 2013

'आवाजें' कहानी - रजनी गुप्त

आवाजें "स्त्री को अपने  इर्द गिर्द जीवनपर्यन्त लगातार कुछ आवाजें  सुननी पड़तीं हैं ...  रुढ़िवादी मानसिकता रुपी आवाज़ों  की  भारी भरकम शिला अपने पैरों में न चाहते हुए भी स्त्री आजीवन खींचने को मजबूर रहतीं हैं .. चर्चित कथाकार...

Tuesday, July 09, 2013

कश्मीर की वादियाँ -रजनी मोरवाल,कवितायें

निंदिया के पाँव-रजनी मोरवाल------------------------------------ 1-रिश्तों की मधुशाला कैसे मन का दीप जलाऊँ खुशियाँ पर जाले हैं, रिश्तों के द्वारे पर कब से पड़े हुए ताले हैं | सोने के पिंजरे में पालूँ मोती रोज चुगाऊँ, साँसों...

फेसबुक पर LIKE करें-