Friday, February 28, 2014

बेबी की डायरी



बेबी 
की डायरी  
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शुक्रवार ६/१३

मेरे को अब पढ़ने में बहुत अच्छा लग रहा है, मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मैं कभी पढ़ पाऊँगी लेकिन अब जब से मैं दीदी के पास पढ़ने जा रही हूँ तो मेरे को बहुत अच्छा लग रहा है ! अगर मेरे को दीदी नहीं पढ़ाती  तो मैं तो बिलकुल ही जाहिल रह जाती लेकिन अब लगता है कि मैं थोडा बहुत तो पढ़ ही लुंगी, मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करुँगी कि मैं अच्छे से पढ़ाई करुँगी , मेरा बस एक ही सपना है कि मैं पढ़ाई करूँ और मैं अपने पापा-मम्मी को कुछ बनकर दिखाऊं !

शनिवार - ७/६/२०१३
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आज मेरा खाता खुल गया मैं बहुत खुश हूँ, मैं तो ये सोची कि कभी खुल भी नहीं पायेगा लेकिन अब मेरा खाता खुल गया, मैं भी कोशिश करुँगी कि मैं हर  महीने सौ रुपये जमा करुँगी और अपने पापा से भी बोलूंगी कि हर महीने मेरे खाते में कुछ पैसे डाला करें और मैं अब पढ़ने  की कोशिश करुँगी ! अब मैं बस ये सोचती हूँ कि जल्द से जल्द पढ़ाई करुँगी, दीदी मेरे को बोलती है कि सिलाई भी सीखो लेकिन मैं कोई एक काम करुँगी या तो पढ़ाई या तो सिलाई करुँगी , क्योकि मेरे पास टेम नहीं है !

सोमवार १०/६/२०१३
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आज न मैं टिकट लेने के लिए गयी थी, आज शाम चार बजे गयी थी और सुबह दस बजे मेरे को टिकट मिला ! मैं पूरी रात वही सोयी और मेरी मम्मी भी थी, मेरा पहला नंबर था मैं रोज जाती और घूम के चली आती थी लेकिन मैं सोची कि ऐसे टिकट नहीं मिलेगा इसीलिए ही शाम को चार बजे से ही जाकर बैठ गयी, मैं तो सोची कि मैं तो आज टिकट लेकर ही जाउंगी और मेरे को टिकट मिल ही गया  मैं तो बहुत खुश हो गयी और मैं पूरी रात वही रही लेकिन मेरे पापा एक बार भी देखने नहीं गए कि चार  टिकट हुआ भी या नहीं तत्काल में ! तत्काल में एक आदमी को चार आदमी का टिकट मिल रहा था इसलिए मैं और मेरी मम्मी भी लाइन में लग गयी, मैं चार टिकट ली और मेरी मम्मी एक ली, जो टिकट मेरी मम्मी ली थी वो मेरे भाई का था , जब हम सब स्टेशन पर गए तो हम सब का बोगी अलग था और मेरे भाई का अलग, फिर वही पर एक अंकल खरा था फिर वो अंकल गाडी में मेरा सामान रखवा दिया, वो अंकल का टिकट नहीं बना था वो अंकल वोटिंग  में जा रहे थे और गाडी में बहुत भीर था फिर मेरे पापा उनको बोले कि एक सीट मेरा उस बोगी में है अगर आप चाहो तो वहाँ जा सकते हैं !

बुद्धवार २७/६/२०१३
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आज न मेरा चाचा का लड़का दिल्ली से आया, वो दिल्ली में रहतें हैं और काम करतें हैं, उनका नौकरी मेट्रो में है उनको तीन दिन का छुट्टी मिला था इसलिए वो सोचे कि तब तक मैं गाँव में घूम कर चला आउंगा और गाँव भी एना जरुरी था क्योंिकी उनको लड़की वाले देखने के लिए आने वाले थे, वो भाई बीस साल का है !.. फिर साम तीन बजे लड़की वाले आ गए, दो एंटी थी और दस आदमी थे फिर जब वो सब आये तो हल्का नाश्ता खाने को दिए , फिर जब खा लिए तो लड़के को देखने के लिए बुलाये फिर उनको लड़का पसंद हो गए !

सोमवार १/७/२०१३
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आज न मेरी मम्मी सोची कि बाज़ार जाउंगी कुछ सामान लेने के लिए, घर में खाना बनाने के लिए कड़ाही नहीं था सब कुछ पतीले में ही बनता था इसीलिए मैं भी सोची कि ले आयेंगें तो अच्छा रहेगा, फिर मैं और मेरी मम्मी तैयार हो गयी, जैसे हम घर से बाहर निकले वैसे ही बहुत तेज कि बारिश आने लगा फिर हम सब रुक गए फिर जब बारिश छूट गया तो हम सब चले गए ! मेरे घर से थोडा सा दूर है वहाँ पर गाड़ी चलता है हम सब वही पर जा कर्के बस या ऑटो पकरते हैं , हम सब तो ऑटो में ही चले जातें हैं, जब हम सब वहाँ गए तो कराही ख़रीदे और फिर आ गए !

मंगलवार  2/7/२०१३
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मेरे पापा के पांव में घाव हो गया है, पाँव में बहुत दर्द होता  है, आज गए थे दवाई लाने के लिए, दवाई लेकर आ गए मगर खाते नहीं हैं, उनको सिर्फ दारु पीने से मतलब है इतना  दिन यहाँ  आये हो गया मगर अभी तक कुछ भी काम नहीं करे हैं सिर्फ दारु पीते हैं और गाली बकते हैं, कोई काम से उनको कोई मतलब नहीं है और रोज मम्मी से झगड़ा करना बस अब उनको यही रह गया है ! मेरे को कुछ समझ नहीं आता कि अब मैं क्या करूँ, रोज रात को दारु पीते हैं और सबको गाली बकते हैं, मेरे चाचा सब भी परेशान  हैं वो सब कहतें हैं कि जब ये यहाँ ऐसा कर रहा है तो दिल्ली में कैसे करता होगा, वहाँ पर तो सबका जीना हराम कर देता होगा, मेरे चाचा सब भी उनसे बहुत गुस्सा करतें हैं और जो भी मेरी बहन सब को देखता है वो बोलता है कि शादी करने वाली हो गयी है चारो लड़की और आप ऐसे कर रहें हैं ? मेरे चाचा सब इतने अच्छे हैं इतना काम करतें हैं तो भी मेरी चची सब को गाली नहीं बकते हैं और आराम से रहतें हैं, मैं आज तक नहीं देखी अपने चाचा को गाली बकते या अपनी बेटी को गाली देते हुए, मैं हमेशा यही सोचती हूँ कि मेरे पापा ऐसे कैसे हो गए और पता नहीं कब सुधरेंगें ? घर में सब कोई उनसे परेशान है, मेरे चाचा सब इतने अच्छे हैं फिर भी मेरे पापा सबसे झगड़ा करतें हैं !

वीरवार ४/७/२०१३
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आज न जो मेरे डीलर चाचा हैं उनकी लड़की की  लड़की को करेंट लग गया था यानि कि वो मेरी चचेरी बहन हुई, उसका नाम है गिन्नी ! उनके पास तीन बेटी है और एक बेटा ,जो सबसे छोटी  है उसी को करेंट लगा था , जब करेंट लगा तब मेरी छोटी बहन खूब तेज  से चिल्लाने लगी और उसके मुंह से आवाज़ नहीं निकल रहा था कि "करेंट लग गया है " ! सिरिफ वो तेज से चिल्ला रही थी, हम सब अपने घर में थे और पढ़ाई कर रहे थे, जब हम सब आवाज़ सुने तो दौड़कर गए और हम सब देखा कि करेंट लगा हुआ है तो जल्दी से में स्विच ऑफ किया गया, फिर सब उसको उठाकरके हाथ पाँव मलने लगे, फिर मेरे चाचा सब आये और बोले कि अब तो ठीक है ना सब बोले कि "हाँ .. अब ठीक है !"


शुक्रवार ५/७/२०१३

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आज मेरे तीनों चाचा-चाची और मेरे मम्मी-पापा और भाई सब कोई गए थे लड़की देखने के लिए और जिसका भाई था उसका तीन भाई गया था ! आज तीन बजे गए थे और सात बजे आये, लड़की सबको पसंद आ गया ! मेरी चाची और चाचा को कपड़ा पहना दिया, चाची सबको साड़ी और चाचा सबको लुंगी मिला, मेरी चाची उस लड़की को एक सोने कि अंगूठी और एक चंडी कि अंगूठी दी और एक सूट का कपड़ा और तौलिया दिया !..और मैं कप का सामान और एक सैंडल और कुछ पैसा पड़ा  था, तीनों चाची और चारो चाचा पैसा दिया था !




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