बेबी
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फरगुदिया - डायरी अंश
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बेबी की उम्र अभी १४ वर्ष है .. घर -गृहस्थी की जिम्मेदारियों और विपरीत परिस्थितियों की वजह से बेबी की शिक्षा अधूरी रह गयी .. बेबी फिर से स्कूल जाना चाहती है ...
कुछ महीने पहले हमने स्लम एरिया में रहने वाली कुछ बच्चियों को लेखन के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें डायरी गिफ्ट की .. सभी लडकियां बहुत अच्छा लिख रही हैं लेकिन बेबी की डायरी पढ़कर उसकी परेशानियों की तरफ हमारा ध्यान गया .. बेबी की परेशानियों को दूर करने के लिए हम हर तरह से उसके साथ हैं .. प्रस्तुत है बेबी की डायरी के कुछ भावुक अंश..
( नोट- पहले बेबी लिखने में बहुत गलतियां करती थी .. जैसे - 'श ' को 'स' लिखती थी और भी मात्राओं से सम्बंधित कुछ गलतियाँ करती थी लेकिन अपनी लगन और लगातार अभ्यास से अब बेबी के लेखन में बहुत सुधार हुआ है .. बेबी द्वारा लिखे डायरी अंश में कोई भी सुधार नहीं किया गया है )
1-
आज आपको पता है कि मेरे घर में क्या हुआ है .. मेरे पापा सब्जी लाकर घर में सो गए और जब मैं देखी कि मेरे पापा सो गएँ हैं तो मैं और मेरा भाई दुकान लगाने चले गए .. और जब मैं दुकान लगा ली तो फिर मैं अपनी मम्मी को फ़ोन करी .. फिर मेरी मम्मी बताई कि कैसे आऊं यहाँ पर 'ये' दारु पीकर सबसे झगड़ा कर रहें हैं .. फिर मैं अपनी मम्मी से बोली कि कुछ भी कर रहें हैं करने दे ..तू यहाँ पर आ जा .. फिर मेरी मम्मी घर में ताला लगाकर दुकान पर आ गयी ..
मेरे पापा को कोई टेनसन नहीं था .. सिरिफ उनका सब्जी लाने से मतलब है और मैं दुकान अकेले लगा लेतीं हूँ ..फिर भी गाली बकते रहतें हैं . जब मेरा सब्जी बिक गया तो हम सब अकेले आये और एक बार भी मेरे पापा नहीं सोचे कि वो सब कैसे आयेंगें .. आराम से अपना दारु पीकर सो गए और हम सब अकेले आये 11 बजे रात को .. वैसे भी ज्यादा आदमी नहीं चलता है .. आप वहाँ से आयीं हैं ..आप तो देखे हो कि कैसा रास्ता है ...
२-
आज मेरा दिन बहुत अच्छे से गुजरा और आज मैं बहुत खुस थी और आज मेरी सब्जी भी अच्छी बिका है ..और आज मेरा दिल कर रहा था घूमने का मगर मैं नहीं गयी क्योकि मेरे घर में बहुत काम था इसलिए मैं घूमने नहीं गयी .. क्योकि मेरे घर में मेहमान आये थे और अगर मैं घूमने जाती तो फिर घर कोन काम करता और फिर मुझे दुकान पर भी जाना होता है ..
३-
आज आपको पता है कि आज क्या हुआ आज न मैं बहुत खुश थी ....आज मेरे पापा भी बहुत खुश थे ..जब मेरे घर में पापा खुस रहतें हैं तो सब कोई खुस रहता है और जब पापा गाली बकतें हैं तो सबको बहुत दुःख होता है .. कभी कभी जब मेरे पापा बहुत गाली बकतें हैं तो मैं भी अपने पापा से बोलने लगती हूँ और झगड़ा भी कर लेतीं हूँ लेकिन जब मेरे पापा खुस रहतें हैं तो मैं ये सोचती हूँ कि कास ! हमेसा मेरे पापा ऐसे ही रहते तो कितना अच्छा होता ...
बहुत ही मार्मिक है ,पड़ते हुए आंसू निकल आये
ReplyDeleteमार्मिक .....
ReplyDeleteमार्मिक .....
ReplyDeleteआपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 03/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
मार्मिक ... दिल को भिगो गए ...
ReplyDeleteदिल को छू लेने पोस्ट।
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