Saturday, November 30, 2013 को shobha mishra द्वारा प्रकाशित1 comment
रुदाली---------------इस आलीशान महल के भीतर,
इस काल कोठरी में जाने की इज़ाज़त,
तो मै कभी खुद को भी नहीं देती,
तो तुम्हें कैसे दे दूँ ??
बस साँझ ढले कोठरी की दहलीज़ पर,
यादों का दिया जला देती हूँ,
रात भर कोठरी की एक एक ईट,
का मौन टूटता है,
और दबे स्वर...
Friday, November 22, 2013 को shobha mishra द्वारा प्रकाशित4 comments
यशवंत यश
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"मैं यशवन्त यश संप्रति संघर्षरत एवं लिखने में रुचि रखता हूँ। जहाँ तक लिखने की बात है मैं 6 वर्ष की उम्र से लिख रहा हूँ.सब से पहली रचना कुछ बेतुकी 4-5 लाइनें थीं जो 28 अप्रैल 1990 को आगरा से प्रकाशित साप्ताहिक...
Thursday, November 21, 2013 को shobha mishra द्वारा प्रकाशित3 comments
"घर यूं तो एक छोटी सी स्पेस दिखाई देती है और घरेलू काम एक ऐसी जिम्मेदारी जिसका अहसानमंद घर का कोई सदस्य नहीं होता । अक्सर घर की चहारदीवारी के भीतर पलने पनपने वाले तनाव, घर के सभी सदस्यों की ज़रूरतों को समय पर पूरा करने का दायित्व-बोध एक कामकाजी महिला...
Friday, November 15, 2013 को shobha mishra द्वारा प्रकाशित4 comments
रश्मि प्रभा
शीर्षक से परे
खुद सी लगती है वह खामोश लड़की,
जो किसी रचनाकार की रेखाओं में होती है -
बाह्य बोलता प्रतीत होता है,
अंतर की ख़ामोशी का अनुमान सम्भव नहीं -
अनुमानित श्रृंखला से बहुत दूर...