महिलाओं को ध्यान में रखते हए लिखने वालों कि संख्या अनगिनत है.घर-परिवार को सम्भालते हए भी अपनी मौजूदगी से सबको सम्मोहित करने वाली महिलाओं की तताद लम्बी है.उनमे से कुछ बेहद चर्चित भी है.अभी कुछ दिन पहले ही २७ को ‘फर्गुदिया’ग्रुप के महिलाओं ने कम उम्र में होने वाली शादियों उसके के द्वारा मृत्यु को प्राप्त होने वाली महिलाओं पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया था.यह भी एक ब्लॉग है जो महिलाओं के लिए विशेष तौर पर काम करती हैं.इसकी मुखिया शोभा जी कहती हैं—“इंटरनेट से जुड़ा ब्लोगिंग एक ऐसा माध्यम है जिससे हम घर बैठे देश में ही नहीं विदेश में भी पहुंचा सकतें हैं.मेरे जैसी गृहणी ने जब इंटरनेट की दुनिया में कदम रखा तो ब्लॉग के जरिये जहाँ मुझे समाज का प्रगति करता चेहरा नज़र आया वहीँ कुछ ऐसी झकझोर देने वाली बुराइयाँ भी सामने आयीं जिससे मैं अनभिज्ञ थी.
हमारे आस-पास ऐसा बहुत कुछ घटित हो रहा होता है जिसकी जानकारी प्रिंट मिडिया या इलेक्ट्रोनिक मिडिया तक नहीं पहुंचती है,अगर कोई पहुँचाना भी चाहे तो जरुरी नहीं है की अख़बार के संपादक उसे छापें या न्यूज़ चैनल वाले उसे दिखाएँ,इसके लिए उनकी अपनी कुछ शर्तें और नियम होतें हैं ,ऐसे में ब्लॉग एक ऐसा मंच है जिसके माध्यम से हम अपने विचार सभी तक पहुंचाने के लिए स्वतंत्र हैं
मैं स्वयं ब्लॉग के माध्यम से अपने बचपन की एक हृदय विदारक घटना को सबके सामने लाने में सफल रही.ये मेरे गाँव की घटना थी,वहाँ करीब छब्बीस साल पहले एक गरीब परिवार की अशिक्षित,नाबालिक लड़की का बलात्कार हुआ था,जिससे वो गर्भवती हो गयी,समाज के डर से उसकी अशिक्षित माँ ने उसका गर्भ गिराने के लिए उसे पता नहीं कौन सी दवाई दी...जिससे उसकी दर्दनाक मृत्यु हो गयी.
जिस लड़की के साथ ये घटना घटी उसका नाम 'फर्गुदिया' था,जब उसकी मृत्यु हुई तब उसकी उम्र मात्र चौदह या पंद्रह वर्ष थी.
गर्मी में जब स्कूल की छुट्टिया हुआ करती थी तब मामाजी के घर गाँव जाने पर फर्गुदिया से अक्सर मेरी मुलाकात हुआ करती थी,ऐसे ही एक बार जब मैं गाँव गयी तो फर्गुदिया के साथ घटी घटना और उस घटना से हुई उसकी दर्दनाक मृत्यु के बारे में सुना तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी,उस समय मेरी भी उम्र पंद्रह,सोलह वर्ष की ही थी,तब से लेकर आज तक मैं फर्गुदिया और उसके साथ घटी घटना को बिलकुल भी नहीं भूली हूँ.
करीब दो साल पहले इस घटना को मैंने कहानी का रूप देकर अपने ब्लॉग पर पोस्ट किया,एक चमत्कारिक परिणाम सामने आया,समाज में हो रहे ऐसे घ्रणित अपराध की शिकार बच्चियों के समर्थन में ब्लॉग और इंटरनेट के माध्यम से विचार आने लगे और ऐसे घ्रणित अपराध की खुले शब्दों में भर्त्सना की गयी.
ब्लॉग के जरिये फर्गुदिया के समर्थन में आवाज़ दूर दूर तक गयी,बाद में मैंने और इंटरनेट से जुड़े मेरे मित्रों ने मिलकर जमीनी स्तर पर फर्गुदिया के लिए कविता पाठ का कार्यक्रम रखकर उसे भावभीनी श्रृद्धांजलि दी.आज फर्गुदिया की दास्तान ब्लॉग के जरिये इंटरनेट की दुनिया के बाहर के लोग भी जान रहें हैं”
http://samay-sunitablogspotcom.blogspot.in/?spref=fb
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