Monday, July 30, 2012 को shobha mishra द्वारा प्रकाशित4 comments
मनीषा कुलश्रेष्ठ
एम.फिल (हिंदी साहित्य), विशारद (कथक)
पाँच कहानी संग्रह (बौनी होती परछाई, कठपुतलियाँ,
कुछ भी तो रूमानी नहीं,केयर ऑफ़ स्वात घाटी, (गंधर्व-गाथा)
दो उपन्यास (शिगाफ़, शालभंजिका )
अनुवाद - 'माया एँजलू की आत्मकथा' वाय केज्ड बर्ड...
Sunday, July 29, 2012 को shobha mishra द्वारा प्रकाशित15 comments
वंदना शर्मा:-
अपने बयान की तीव्रता.अनुभूति की गहराई भाषा की प्रखरता ,शिल्प और अपने तेवर के साथ वंदना शर्मा की कवितायें हाल के स्त्री-लेखन की प्रमुख उपलब्धि है। उनका लेखन लेखन कम आह्वान ज्यादा है जिसमें स्थापित मूल्यों , स्थापनाओं के विरुद्ध...
Thursday, July 26, 2012 को shobha mishra द्वारा प्रकाशितNo comments
http://www.facebook.com/events/454189434606327/
मित्रों,''यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता'' की अवधारणा वाले इस देश में नारियों के प्रति जिस प्रकार दिनोंदिन हिंसक और अश्लील वारदातें बढ़ रही हैं वह बेहद चिंतनीय बात है, आज स्त्री अस्मिता की यहाँ वहां जिस तरह भरे बाज़ार बेखौफ धज्जियां उड़ाईं जा रही हैं उसे देख... कर... किसी भी सच्चे भारतीय...
Monday, July 16, 2012 को shobha mishra द्वारा प्रकाशितNo comments
महिलाओं को ध्यान में रखते हए लिखने वालों कि संख्या अनगिनत है.घर-परिवार को सम्भालते हए भी अपनी मौजूदगी से सबको सम्मोहित करने वाली महिलाओं की तताद लम्बी है.उनमे से कुछ बेहद चर्चित भी है.अभी कुछ दिन पहले ही २७ को ‘फर्गुदिया’ग्रुप के महिलाओं ने कम...
Wednesday, July 04, 2012 को shobha mishra द्वारा प्रकाशित4 comments
बिजूका
देह और मन की सीमाओं में
नहीं बंधी होती है गरीब की बेटी....
अपने मन की बारहखड़ी पढ़ना उसे आता ही नहीं
और देह उसकी खरीदी जा सकती है
टिकुली ,लाली ,बीस टकिये या एक दोने जलेबियों के बदले भी ....
गरीब की बेटी नहीं पायी जाती
किसी कविता...
Monday, July 02, 2012 को shobha mishra द्वारा प्रकाशित2 comments
बिजूका
देह
और मन की सीमाओं में
नहीं
बंधी होती है गरीब की बेटी....
अपने
मन की बारहखड़ी पढ़ना उसे आता ही नहीं
और
देह उसकी खरीदी जा सकती है
टिकुली
,लाली ,बीस टकिये या एक दोने जलेबियों के
बदले भी ....
गरीब
की बेटी नहीं पायी जाती
किसी
कविता...