
बात-चीत 20.11.2014
१.
कहा जाता है कि अभिव्यक्ति की बराबरी से बड़ी कोई बराबरी नहीं हो सकती.
दुनिया भर के जनतांत्रिक आंदोलनों का अंतिम आदर्श भी यही अभिव्यक्ति की
बराबरी रहा है.हिंदी जगत में स्त्रियों द्वारा रचे जा रहे साहित्य की
प्रचुरता और विपुलता...