महाश्वेता देवी
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बंगाल की हमारी बहुत प्रिय लेखिका महाश्वेता दी ने आज 88 बरस पूरे कर लिए ! उन्होंने अपना जीवन और लेखन पूरी तरह सदियों से पीड़ित जन जातियों के लिए समर्पित कर दिया !
जितनी बड़ी लेखिका और कार्यकर्त्ता हैं वे , उतनी ही बड़ी इंसान !
महाश्वेता दी के साथ की एक घटना याद आ रही है - 1981 में नलिनी सिंह के कार्यक्रम '' सच की परछाइयां '' के लिए पलामू के बंधुआ मज़दूरों के बारे में महाश्वेता दी से मुझे एक साक्षात्कार लेना था ! कोलकाता दूरदर्शन की टीम उनके बालीगंज स्थित घर पर पहुंची ! किताबों और फ़ाइलों से अंटे पड़े उनके छोटे से कमरे में कैमरा लाईट फिट किया गया ! दीदी आयीं - रंगीन पाड़ वाली मुसी तुसी सूती साड़ी पहने ! निर्देशक ने कैमरामैन को देखा , कैमरामैन ने मेरी ओर। मैंने दीदी से पूछा - दीदी, साडी बदलेंगी ? ....... क्यों ? उन्होंने अपनी साड़ी को देखा, पल्ला घुमा कर सामने कस लिया। बोलीं - ठीक है न ! कैमरामैन ने बेमन से हामी भर दी-- ठीक है, चलेगा ! एक दो ट्रायल शॉट हुए ! पंखे की हवा से बाल कुछ उड़े हुए थे। निर्देशक ने दीदी से इशारे से कहा - ज़रा बालों में कंघी फिरा लें ! अब तो महाश्वेता दी उखड गयीं - हमारा बात सुनेगा कि चूल देखेगा ? शुरू करो ! …… दस मिनट की बाईट भेजनी थी , सच की परछाइयां के लिए .
साक्षात्कार 45 मिनट का हुआ ! दीदी अपनी बाँग्ला मिश्रित हिंदी में बेझिझक धाराप्रवाह बोलती रहीं। कार्यक्रम अलग से भी प्रसारित किया गया !
रिकॉर्डिंग के बाद उन्होंने हमारे लिए एक ख़ास कमरा खोला। उनके पहले तल्ले के घर के बरामदे को फलांग कर जाना पड़ता था , जहाँ आदिवासियों के हाथों से बनायी गयी टोकरी , आसन और कई हस्तशिल्प रखे थे। हमारे सामान खरीदने पर वे बेहद खुश हुईं , बाकायदा उन्होंने रसीद काटी और ज़बरदस्ती थमायी !
महाश्वेता दी के घर पर ही चुन्नी कोटल से मिलना हुआ -- मिदनापुर की पहली लोधा लड़की जिसने एम.एस.सी में दाखिला लिया और जिसे अंततः मजबूर होकर आत्महत्या करनी पड़ी। बूधन शवर की मौत, जिसे आत्महत्या का नाम दिया गया था, का मुकदमा भी उन्होंने दायर किया। उनकी मेज़ कोर्ट कचहरी की फाइलों से भरी पड़ी थी।
एक वाकया उन्होंने सुनाया था - एक बार सिंहभूम के आदिवासियों के साथ वे खाने बैठीं। पत्तल पर भात के साथ नमक मिर्च रखा था ! दीदी ने पूछा -- भात किस चीज़ से सानेंगे ? एक आदिवासी औरत ने जवाब दिया - '' दीदी , भूख से सान लीजिये !'' यह घटना महाश्वेता दी ने मेरी किताब '' औरत की कहानी '' के वक्तव्य के लिए बतायी और कहा -- भूख से बढ़कर कोई पढ़ाई नहीं होती ! मन्नू जी पर जब अंक निकाला तो उन्होंने मन्नूजी पर एक संस्मरण लिख कर दिया ! अपनी कहानियों की एक किताब उन्होंने '' प्रिय बांधवी मन्नू भंडारी '' को समर्पित की !
बहुत से लोग उन्हें उनकी कहानियों पर बनी फिल्मों से जानते हैं -- गोविन्द निहलानी की हज़ार चौरासी की माँ , कल्पना लाज़मी की (गुलज़ार लिखित ) रुदाली , गुड़िया और चित्रा पालेकर की माटी माय ! उन्हें इन फिल्मों में से माटी माय सबसे ज़यादा पसंद थी जो उनकी चर्चित कहानी ''डायन'' पर बनी थी !
इस बार कोलकाता गयी तो सोचा था दीदी के सॉल्ट लेक वाले नए घर में उनसे मिलने जाउंगी उनके रचना समग्र के 12 खण्डों का अनुवाद करने में जुटी सुशील गुप्ता के साथ पर सुशील अचानक लम्बी यात्रा पर चली गयीं और महाश्वेता दी से मिलना नहीं हो पाया !
अगली बार ज़रूर मिलूंगी दीदी ! आप को जन्मदिवस की अनंत शुभ कामनाएं ! खूब स्वस्थ सक्रिय रहें ! हम सबको आपकी बहुत ज़रूरत है !- सुधा अरोड़ा
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