डॉ सरस्वती माथुर
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आज शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने छात्र - छात्रों के प्रति एक शिक्षक की क्या भूमिका होनी चाहिए ..स्वयं डॉ सरस्वती माथुर ने अपने अनुभवों को इस लेख के माध्यम से साझा किया है .. एक बार पुनः डॉ सरस्वती जी का फरगुदिया पर हार्दिक स्वागत और आभार !!
जिस प्रकार कुम्हार मिट्टी के घड़े को मजबूत करने के लिए अंदर से सहारा देकर ऊपर से चोट मारता है। उसी प्रकार गुरु की भूमिका बहुत ही चुनौतीपूर्ण होती है। शिक्षक दिवस पर हमेशा मुझे ब्रैड हेनरी का एक कथन याद आता है, उनका कहना था कि -"एक अच्छा शिक्षक आशा को प्रेरित कर सकता है ,कल्पना को प्रज्वलित कर सकता है और सीखने के प्रति प्रेम पैदा कर सकता है !"
बिलकुल सही कहा था उन्होने मैंने अपने अनुभवों से भी यह महसूस किया, 40 वर्ष तक एक शिक्षाविद रही और आज भी जुड़ी हूँ ओर खुशकिस्मती है मेरी की मेरे छात्र -छात्राएँ हर क्षेत्र में फैले हैं ... बड़ा अच्छा लगता है जब कहीं अचानक से कोई मिल जाता है ओर याद दिलाता है कि मैंने उन्हे पढ़ाया है , एक छात्र एक बार मुझे शहर के एक अस्पताल में मिला, देखते ही भाव विभोर हो गया, चेहरा जाना पहचाना लगा पर नाम याद नहीं आया मैंने बहुत से सवाल किए कौन से इयर में थे , कॉलेज के बाद क्या क्या किया और भी बहुत से सवाल ! अब उसके सवाल शुरू हुए--" आप यहाँ कैसे मैडम जी ?...मैंने अपने आने का प्रयोजन बतलाया कि मैं शिक्षाविद के साथ -साथ सोशल एक्टिविस्ट भी हूँ एक संस्था के काम से आई हूँ ,चिकित्सा शिविर कराना है,इसी सिलसिले में यहाँ के डाइरेक्टर से मिलना है ...अभी यह अस्पताल हालांकि नया है पर सुना है यहाँ बहुत अच्छे चिकित्सक है ...खर्चा हमारा तगड़ा होगा पर यदि थोड़ा सहयोग मिल जाये और चिकित्सकों की एक टीम नजदीक के एक गाँव के लिए तैयार हो जाये तो गाँव वाले लाभान्वित होंगे ! " जी मैडम आप विराजें ,कॉफी पीएं मैं कुछ करता हूँ !", मैंने हाथ का कागज उन्हे पकड़ाया ओर इंतज़ार करने लगी ,कुछ ही देर में सभी औपचारिकताएँ पूरी हो गयी और उनका पी. आर. ओ वो कागज मुझे पकड़ा गया .. देख कर मैं हैरान थी कि .पूरे शिविर ...की जिम्मेवारी इस अस्पताल ने अपने ऊपर ले ली थी, मैंने कहा... अररे पर मेरा छात्र कहाँ है ? और वो यहाँ .... मेरा अधूरा वाक्य एक अन्य कर्मचारी ने पूरा किया यह कह कर कि एक पेचीदा ओपरेशन था, उन्हे थिएटर में जाना पड़ा .. यह अस्पताल तो उनका ही है मैडम... ! दिल भर आया उसने आभास भी नहीं होने दिया कि वो इतने बड़े अस्पताल का मालिक है...बस एक अच्छे छात्र का कर्तव्य निभाया !गुरु को सम्मानित किया !
बिलकुल सही कहा था उन्होने मैंने अपने अनुभवों से भी यह महसूस किया, 40 वर्ष तक एक शिक्षाविद रही और आज भी जुड़ी हूँ ओर खुशकिस्मती है मेरी की मेरे छात्र -छात्राएँ हर क्षेत्र में फैले हैं ... बड़ा अच्छा लगता है जब कहीं अचानक से कोई मिल जाता है ओर याद दिलाता है कि मैंने उन्हे पढ़ाया है , एक छात्र एक बार मुझे शहर के एक अस्पताल में मिला, देखते ही भाव विभोर हो गया, चेहरा जाना पहचाना लगा पर नाम याद नहीं आया मैंने बहुत से सवाल किए कौन से इयर में थे , कॉलेज के बाद क्या क्या किया और भी बहुत से सवाल ! अब उसके सवाल शुरू हुए--" आप यहाँ कैसे मैडम जी ?...मैंने अपने आने का प्रयोजन बतलाया कि मैं शिक्षाविद के साथ -साथ सोशल एक्टिविस्ट भी हूँ एक संस्था के काम से आई हूँ ,चिकित्सा शिविर कराना है,इसी सिलसिले में यहाँ के डाइरेक्टर से मिलना है ...अभी यह अस्पताल हालांकि नया है पर सुना है यहाँ बहुत अच्छे चिकित्सक है ...खर्चा हमारा तगड़ा होगा पर यदि थोड़ा सहयोग मिल जाये और चिकित्सकों की एक टीम नजदीक के एक गाँव के लिए तैयार हो जाये तो गाँव वाले लाभान्वित होंगे ! " जी मैडम आप विराजें ,कॉफी पीएं मैं कुछ करता हूँ !", मैंने हाथ का कागज उन्हे पकड़ाया ओर इंतज़ार करने लगी ,कुछ ही देर में सभी औपचारिकताएँ पूरी हो गयी और उनका पी. आर. ओ वो कागज मुझे पकड़ा गया .. देख कर मैं हैरान थी कि .पूरे शिविर ...की जिम्मेवारी इस अस्पताल ने अपने ऊपर ले ली थी, मैंने कहा... अररे पर मेरा छात्र कहाँ है ? और वो यहाँ .... मेरा अधूरा वाक्य एक अन्य कर्मचारी ने पूरा किया यह कह कर कि एक पेचीदा ओपरेशन था, उन्हे थिएटर में जाना पड़ा .. यह अस्पताल तो उनका ही है मैडम... ! दिल भर आया उसने आभास भी नहीं होने दिया कि वो इतने बड़े अस्पताल का मालिक है...बस एक अच्छे छात्र का कर्तव्य निभाया !गुरु को सम्मानित किया !
ऐसे और भी बहुत अनुभव बटोरे मैंने क्यूंकी मैंने अपने छात्र -छात्राओं से हमेशा दोस्तों का सा व्यवहार रखा ,संस्कार दिये ओर सच कहूँ तो बहुत कुछ सीखा भी ,शायद उसी का प्रतिफल मुझे समय -समय पर मिलता रहा ! एक प्रोफेसर ओर प्रिन्सिपल का दायित्व निभाते हुए मैं डैन राथर की यह बात कभी नहीं भूली कि- "सपने की शुरुआत उस शिक्षक के साथ होती है जो आपमें यकीन करता है ,जो आपको खींचता है ,धक्का देता है और आपको अगले पठार तक ले जाता है ,कभी कभी सच नामक तेज छड़ी से ढकेलते हुए !"
सच ही तो है , गुरु को हम विद्या का वरदान देने वाले भगवान का दर्जा देते आए है। उनके प्रति हमारे मन असीम प्यार, और स्नेह छुपा होता है।किसी भी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा पर निर्भर करता है। शिक्षा के अनेक आयाम हैं, जो राष्ट्रीय विकास में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हैं। वास्तविक रूप में शिक्षा का आशय है ज्ञान, ज्ञान का आकांक्षी है-शिक्षार्थी और इसे उपलब्ध कराता है शिक्षक।तीनों परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर हैं। एक के बगैर दूसरे का अस्तित्व नहीं।मुझे खुशी है कि मैंने अपना यह दायित्व भली भांति निभाया ओर अपने छात्र -छात्रों का भरपूर स्नेह पाया ! इसलिए जब भी शिक्षक -दिवस आता है बहुत सी यादें आ जाती हैं ,कुछ छात्र- छात्राएँ तो आज भी इस दिन फोन करना नहीं भूलते ,उनके स्नेहसिक्त शब्दों से रचे वर्षों पुराने कार्ड आज भी मैंने अपने पास सँजो कर रखें हैं सच ही तो है गुरु और शिष्य के बीच एक अनोखा रिश्ता होता है। गुरु एक घने वृक्ष की तरह अपने शिष्य को हर तरह से छाया प्रदान करता है। चाहे वह एक मातापिता की भूमिका हो, एक गुरु की या फिर एक पथप्रदर्शक की।
शिक्षक ही वह धुरी होता है, जो विद्यार्थी को सही-गलत व अच्छे-बुरे की पहचान करवाते हुए बच्चों की अंतर्निहित शक्तियों को विकसित करने की पृष्ठभूमि तैयार करता है।वह प्रेरणा की फुहारों से बालक रूपी मन को सींचकर उनकी नींव को मजबूत करता है तथा उसके सर्वांगीण विकास के लिए उनका मार्ग प्रशस्त करता है। किताबी ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है। एक ऐसी परंपरा हमारी संस्कृति में थी, इसलिए कहा गया है कि "गुरु ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मैः श्री गुरुवेः नमः।
आज इस शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने सभी छात्र -छात्राओं को स्नेहिल शुभकामनायें देती हूँ !
डॉ सरस्वती माथुर
डॉ सरस्वती माथुर
प्राचार्य : पी .जी. कॉलेज
शिक्षा : एम.एस .सी (प्राणिशास्त्र ) पीएच .डी
,पी. जी .डिप्लोमा इन जर्नालिस्म ( गोल्ड मेडलिस्ट )
प्रकाशन
कृतियाँ :
काव्य संग्रह : एक यात्रा के बाद
मेरी अभिव्यक्तियाँ,
मोनोग्राम : राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी : मोनोग्राम हरिदेव जोशी
विज्ञान : जैवप्रोधोयोगिकी ( Biotechnology )
पुरूस्कार /सम्मान :
प्राप्त पुरस्कार / सम्मान: दिल्ली प्रेस द्वारा कहानी " बुढ़ापा "पुरुस्कृत १९७० में एवं अन्य पुरूस्कार
भारतीय साहित्य संस्थान म.प्र .द्वारा काव्य में बेस्ट कविता के लिये
Felicitation & अवार्ड given by Association ऑफ़ : डिस्ट्रिक्ट झालावाड द्वारा साहित्य में योगदान के लिये !
संपर्क:
नाम : डॉ सरस्वती माथुर
ए---२ , हवा सड़क ,सिविल लाइन ,जयपुर-६
अच्छे शिक्षकों को हर छात्र याद रखता है।
ReplyDeleteसीख देता आलेख।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
सादर