: श्री अशोक वाजपेयी जी
इण्डिया गेट पर 'मशाल' आयोजन में श्री अशोक वाजपेयी जी ने स्त्री हित में अपनी बात रखते हुए कहा “जब तक समाज नहीं बदलता तब तक सरकार, पुलिस और संस्थाएं भी नहीं बदलती हैं ।”
अपने परिवार का उदहारण देते हुए अशोक जी ने कहा “हमारा संयुक्त परिवार है, हमारी बहने और मेरी पत्नी तय करतीं हैं कि हमारे परिवार में क्या कैसे होगा,मेरे बेटों ने जब शादी की बात सोची तो अपनी बहनों और बुआओं के पास गया, जब बेटी ने अपनी शादी के बारे में सोचा तो वो भी अपनी बुआओं के पास गयी जब उन्होंने कहा कि हाँ सब ठीक है उनकी सहमती, संतुष्टि और ख़ुशी से ही सब तय होता है
अपने इस प्रभावशाली वक्तव्य के बाद उन्होंने अपनी पुत्री के लिये लिखी कविता “तोतों से बची पृथ्वी“ का पाठ भी किया ।
(पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी)
साहित्यकार, कवि, आलोचक
साहित्य अकादमी से पुरुस्कृत
पूर्व अध्यक्ष ललित कला अकादमी
“जब तक समाज नहीं बदलता तब तक सरकार, पुलिस और संस्थाएं भी नहीं बदलती हैं ।” ............ये कहाँ का नियम है भाई ?? कानून से सब कुछ बदलता है ! समाज भी ! अमरीका में कालों के लिए पहले कानून आया फिर समाज आज तक धीरे धीरे बदल रहा है ! ऐसे ही ढेरो उदहारण जापान से लेकर अफ्रीका तक फैले हैं !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं सार्थक रचना ..आदरणीय अशोक जी की साझा करने का शुक्रिया शोभा !!
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