
"उनके लिए कलम का साथ ख़ुद की आवाज़ सुनना है तो उनके लिए लिखना आस-पास की अच्छी- बुरी तमाम परिस्थितियों पर आवाज़ उठाना भी है. सामाजिक-पारिवारिक और स्वयं पर स्वयं ही लगाई गई उन बंदिशों से बाहर निकलने का माध्यम है जिनमें सदियों की घुटन है.. समाज में सुधार...