Tuesday, August 13, 2013

"डायरी लेखन सम्मान समारोह - २०१३ "- रिपोर्ट

"डायरी लेखन सम्मान समारोह - २०१३ " रिपोर्ट -
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दिनांक १०/०८/२०१३ को मानसरोवर गार्डन स्थित आर्यसमाज मंदिर में "डायरी लेखन सम्मान समारोह " आयोजित किया गया जिसमें झुग्गियों में रहने वाली लड़कियों को उनके लेखन के लिए सम्मानित किया गया । इस समारोह का आयोजन गैर-सरकारी एवं सामाजिक संगठन फरगुदिया समूह द्वारा किया गया.

विदित हो कि कुछ माह पहले फरगुदिया समूह द्वारा झुग्गी में रह रही महिलाओं और लड़कियों को लेखन हेतु प्रोत्साहित करने के लिए डायरी उपहार स्वरुप भेंट की गयीं थीं । इस प्रोत्साहन का सकारात्मक परिणाम सामने आया जब उन लड़कियों ने अपने विचार और अपने सपनों को इन डायरियों में लिखना शुरू किया । कुछ ने तो अपने भाव कविताओं में व्यक्त किया । ऐसी और लड़कियों को पढ़ने-लिखने के साथ अपनी रचनात्मकता को बाहर लाने के लिए इस समारोह का आयोजन किया गया । जिन लड़कियों ने पहले से अपनी डायरी लिखी थी उन्हें प्रतीक-चिन्ह , प्रमाण-पत्र और कुछ पुस्तकों के साथ सम्मानित किया गया तथा आर्थिक सहयोग भी दिया गया .



कार्यक्रम में काजल,ज्योति,प्रेमा,प्रियंका,पूनम ने अपनी डायरी अंश का पाठ भी किया, डायरी लेखिकाओं में रूबी, रितु और परवीन निजी कारण से और दिल्ली से बाहर होने की वजह से कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सकीं, परवीन को तीसरी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद कुछ निजी कारणों की वजह से पढ़ायी छोडनी पड़ी, सोलह वर्षीय परवीन सब्जी बेचने में अपने पिता की मदद करतीं हैं, परवीन आगे और पढना चाहतीं हैं , फिर से स्कूल जाना चाहती हैं , परवीन के पिता नशा करतें हैं जिसकी वजह से परवीन और घर के सभी सदस्य तनाव में रहतें हैं, नन्ही परवीन ने अपने नाजुक कन्धों पर गृहस्थी का बोझ उठाया हुआ है , इन्ही सब समस्याओं का जिक्र परवीन ने अपनी डायरी में किया है, 21 वर्षीय रूबी विवाहित हैं , बचपन से लेकर युवावस्था तक रूबी का जीवन किस तरह संघर्ष में बीता ,इसका जिक्र रूबी ने अपनी डायरी में किया है, छः वर्ष की खेलने-कूदने की उम्र में रूबी सुबह तीन बजे उठकर सड़क किनारे अपने पिता के संग चाय बेचती थी और उसके बाद वही सड़क किनारे तैयार होकर स्कूल चली जाती थी, आर्थिक तंगी की वजह से कभी -कभी रूबी और उसके परिवार को भूखे पेट भी सोना पड़ा . लगभग बारह- तेरह वर्ष की उम्र में रूबी के माता -पिता ने उसका विवाह कर दिया , विवाह के बाद इतनी छोटी उम्र में भी रूबी की वही छः वर्ष की उम्र वाली दिनचर्या थी , पहले वो तीन बजे उठकर अपने पिता के व्यवसाय में उनकी मदद करती थी , अब वो चार बजे उठकर पहले अपने ससुराल वालों के लिए खाना बनाती है , उसके बाद दूसरों के घरों में काम करने जाती है . अभाव में रहते हुए.. संघर्ष करते हुए रूबी जिस तरह अपना जीवन व्यतीत कर रही है उसी का जिक्र अपनी डायरी में किया है . पंद्रह वर्षीय काजल ने अपनी डायरी में गद्य के साथ- साथ पद्य में भी बहुत सुन्दर और गंभीर कवितायेँ लिखीं हैं, काजल कार्यक्रम में उपस्थित थी , उन्होंने डायरी में लिखी बेहद खूबसूरत कविता "नए मांझे" का पाठ किया , डायरी पढ़ते हुए वो भावुक भी हो गयी , उसके रोने से कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोग भावुक हो उठे , काजल नौवीं कक्षा की छात्रा हैं. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री सुमन केसरी जी ने सभी लड़कियों के लेखन को सराहते हुए उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें दीं और लड़कियों के लिए अपनी बनायीं पाठ्यपुस्तकें सरगम और स्वरा फरगुदिया समूह को भेंट की . कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहें वरिष्ठ व्यंगकार डॉ हरीश नवल जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि " जिस घर में बेटियाँ ना हों वो घर रेगिस्तान की तरह होता है", डायरी लिख रही लड़कियों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि आजकल लडकियां हर क्षेत्र में आगे जा रहीं हैं , आत्मविश्वाश और लगन से आप सब भी अपने भीतर छिपी प्रतिभा को मूर्त रूप दो । कार्यक्रम में उपस्थित लेखिका रमा भारती जी ने भी लड़कियों को संबोधित करते हुए उनका हौसला बढाया । इन लड़कियों को बोधि प्रकाशन द्वारा भेजी गयी पुस्तकें भेंट की गईं, साहित्यिक पत्रिका मगहर के संपादक मुकेश मानस जी ने अपने आरोही प्रकाशन के कविता संग्रह और कुछ अन्य पुस्तकें लड़कियों को भेंट की, ग़ज़लकार आनंद द्विवेदी जी ने भी अपना ग़ज़ल संग्रह लड़कियों को भेंट किया । कार्यक्रम के अंत में फरगुदिया समूह की सदस्य और संयोजक डॉ वंदना ग्रोवर जी ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया ।

कार्यक्रम का संचालन समूह की संस्थापिका शोभा मिश्रा ने किया । दीपक, चंद्रकांता,निरुपमा सिंह,सरोज सिंह, इंदु सिंह, सुशील कृष्नेत, अंजू शर्मा, मृदुला शुक्ला,राघव विवेक पंडित, रविन्द्र के दास, सरिता दास, , प्रगति मिश्रा, परिक्रमा, आयुशी आदि लोगों की उपस्थिति और सहयोग से कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ .


शोभा मिश्रा
संचालिका/संस्थापक

फरगुदिया समूह

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