Thursday, April 25, 2019

डर- सपना सिंह

डर -------"हम खूब दावे कर लें कि स्त्रियों के प्रति सदियों से स्थापित सोच में बदलाव आया है .. फिर क्यों आज भी जन्म से ही एक अंजाना डर उनके जीवन का हिस्सा बन जाता है... और उस डर को वे पीढ़ी दर पीढ़ी प्रत्यारोपित करती जा रहीं हैं.कहानीकार सपना सिंह...

Sunday, April 07, 2019

"..क्योंकि हमें डर कर नहीं डट कर जीना है" - फ़रगुदिया डायरी

"बीजारोपण के पश्चात मिट्टी से अँखुआते पौधे को देखने में जो सुख है ठीक वैसा ही सुख इनके हाथों में कलम थमाकर इनके लिखे को पढ़ने में हैं!अपनी प्रतिभा से अनभिज्ञ ये बस लिखती गयीं! इनकी भाषा शैली का कच्चापन, कोमलता विचार रूप में सीधे हृदय को स्पर्श करता...

फेसबुक पर LIKE करें-