tag:blogger.com,1999:blog-8170812756091380286.post2654035501346404239..comments2023-10-09T16:45:57.355+05:30Comments on फरगुदिया : "फर्गुदिया के नाम- एक शाम " कार्यक्रम में स्नेह सुधा नवल जी द्वारा सुनाई गयी तीन कविताएँshobha mishrahttp://www.blogger.com/profile/17523944890996754964noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8170812756091380286.post-32226232294698782482012-06-18T17:22:53.458+05:302012-06-18T17:22:53.458+05:30"प्रकृति का सच
सच है आज भी
की नदी की नियति अं..."प्रकृति का सच<br />सच है आज भी<br />की नदी की नियति अंततः<br />सागर ही है<br />अतः<br />पुरुष बूंद है, स्त्री गागर<br />पुरुष नदी है, स्त्री सागर |" सच का उद्घाटन और स्थापन जमा, रुचा.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.com