tag:blogger.com,1999:blog-8170812756091380286.post6330320579543915630..comments2023-10-09T16:45:57.355+05:30Comments on फरगुदिया : दोराहे पर अस्तित्व ? शिखा वार्ष्णेय shobha mishrahttp://www.blogger.com/profile/17523944890996754964noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8170812756091380286.post-24488335294742383962014-03-13T20:06:49.097+05:302014-03-13T20:06:49.097+05:30स्त्री जब तक भावनात्मक स्तर पर आत्मनिर्भर नहीं होग...स्त्री जब तक भावनात्मक स्तर पर आत्मनिर्भर नहीं होगी ....जब तक उसके जीवन साथी के माथे की त्योरियाँ उसकी खुशियों का मापदंड नहीं तै करेंगी .....तब तक वह वास्तविक रूपसे स्वतंत्र, आधुनिक एवं प्रगितिशील नहीं कहलाएगी Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8170812756091380286.post-9793375140190235872014-03-11T09:02:22.120+05:302014-03-11T09:02:22.120+05:30आधुनिकता के नाम पर हो रहे खिलवाड़ पर एक अच्छी टिप्...आधुनिकता के नाम पर हो रहे खिलवाड़ पर एक अच्छी टिप्प्णी। . <br />बधाई शिखा जी और शोभा जी को गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.com